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सफलता का प्रथम कदम गुरु मंत्र
July 22, 2017
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सफलता का प्रथम कदम गुरु मंत्र
एलाचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज
१. बच्चों को शिष्टाचार सिखाना बहुत जरूरी है। शिष्टाचार से उनकी शोभा दस गुना बढ़ जाती है।
२. घर में जो आये उसका सत्कार करो।
३. जो किसी का ताला तोड़ता है। वह बुरा इन्सान है। वह इन्सान ही नहीं है।
४. सबसे ऊँचा पहुँचने के लिए सबसे नीचे से चलना पड़ता है।
५. जो पैसे का हिसाब किताब नहीं रखेगा। वह खत्म हो जायेगा।
६. पैसा पह है। जो आपकी जेब में है। जेब से निकला धन अपना न समझो।
७. पैसा लेने से पहले, लेने वाला आपके पीछे—पीछे घूमता है देने के बाद आपको पीछे घूमना पड़ेगा।
८. आदमी अच्छा बढ़िया कपड़े से नहीं, बल्कि चारित्र व मेहनत से बनता है।
९. सबसे ऊपर की मन्जिल से गिरा हुआ, इन्सान बच सकता है। पर जो निगाह से गिर जाये वह नहीं बचता।
१०. जमाने की चक्की उसे देती है पीस, जिसकी आमदनी हो उन्नीस खर्चा हो बीस।
११. माँ बाप अपने सभी बच्चों को पाल लेते हैं पर बेटो को माँ बाप को पालना मुश्किल नजर आता है।
१२. आलस्य, कैंसर, टी. बी. से भी बड़ा रोग है।
१३. दुनिया में दिमाग ऐसी मशीन है। जो चलाने से घिसती नहीं है बल्कि बढ़ती है।
१४. सत्संग में बिना बुलाये जाओ। पार्टी, भोज में बुलाने पर जाओ।, ताश, जुआ आदि में बुलाने पर भी ना जाओं।
१५. जो अपने आपको बड़ा अकलमंद कहता है। वह सबसे बड़ा बेवकूफ है।
१६. जहाँ से विश्वास टूटता है। वहाँ से लक्ष्मी चली जाती है।
१७. दु:ख उसी को प्राप्त होता है। जो सुख की इच्छा करता है। जो दु:ख में सुख के दर्शन करेगा उसे दु:ख नहीं होगा।
१८. नीयत खराब होने पर अच्छा वक्त भी बुरा होने लगता है।
१९. नीयत साफ होने से बुरा वक्त भी अच्छा होने लगता है।
२०. निष्काम भाव से किया काम हमेशा सुख देता है। कोई भी काम शुद्ध भाव से करना चाहिए।
२१. जीवन में तीन चीजों का बड़ा महत्व है। माँ, महात्मा, परमात्मा, माँ जीवन देती है। महात्मा जीवन की कला सिखाते हैं। परमात्मा जीवन का आनन्द देते हैं।
२२. अहंकार और क्रोध में कोई निर्णय ना लें।
२३. कोई भी कार्य करना हो तो अनुभवी को साथ लो।
२४. व्यापार में हानि लाभ दोनों है। पर सत्संग में तो लाभ ही लाभ होता है।
२५. मुश्किल सब पर आती है। पर बुद्धिमान हँस कर, मूर्ख रोकर झेलता है।
२६. बिना पूछे ना उपदेश दो ना सलाह दो। २७. धर्म के लिए धन नहीं, मन चाहिए।
२८. आदमी का पुण्य ही सबसे बड़ा रक्षक होता है और पाप जीवन का सबसे बड़ा घातक।
२९. सुखी जीवन के तीन सूत्र हैं कम खाना, गम खाना, नम जाना।
श्री सत्यार्थी मीडिया जनवरी २०१४
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