१. आयुर्वेद के अनुसार खीरा कलांति , दाह पित्त तथा रक्त पित्त दूर करने वाला रक्तविकार और मूत्र कच्छ नाशक रूचिकर फल है।
२. खीरे के प्रयोग से पेट तथा जिगर की जलन शांत हो जाती है। खीरे में विटामिन बी और सी प्रचुर मात्रा में विद्यमान होते हैं ।
३. पीलिया, ज्वर, कब्ज, जलन और गर्मी से होने वाले विकारों और त्वचा रोगों में खीरा लाभदायक है । खीरे में जलीय अंश काफी मात्रा में होने से बार—बार लगने वाली प्यास में यह फल राहत पहुंचाता है।
४. मोटापे से परेशान लोगों के लिए सवेरे के समय इसका सेवन फायदेमंद होता है । गुर्दे से संबंधित बीमारियों में खीरे के रस का सेवन करना लाभप्रद रहता है।
५. भूख न लगने की शिकायत में खीरे का सेवन आपकी भूख बढ़ाएगा।
६. खीरे के गोल टुकड़े काट कर आंखों पर रखने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
७. चेहरे मुहांसों, दाग — धब्बों व झाइयों से परेशान हैं तो उन पर रात्रि को शयन से पहले खीरे का रस लगाएं।
८. अधिक तैलीय त्वचा वाले व्यक्ति खीरे के रस में थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी मिलाएं और गर्दन पर लगाएं।
९. पथरी के रोग में खीरे का रस (२५० ग्राम) दिन में तीन बार रोजाना पीएं।
१०.यदि शरीर के किसी हिस्से पर सूजन आ रही हो तो खीरे के रस में नमक मिलाकर बांधे।
११.खीरे को कसकर दही में डालकर रायता बनाओं। सेवन करने से उदर–विकार दूर होतें हैं।
१२. मधुमेह, प्रमेह और सूजाक के रोगियों को भी खीरे से फायदा होता है।
१३. खीरे के रस में दूध, नींबू मिलाकर पूरे शरीर पर लगाने से त्वचा मुलायम हो जाती है।
१४. खीरे के रस में जैतून का तेल मिलाकर चेहरे पर मलने से मुहांसे, काले धब्बे और झाइयां आदि दूर हो जाते हैं।