रक्ताल्पता — चूंकि पालक में लोहा काफी अधिक मात्रा में होता है अत: इसके सेवन से रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। शरीर में खून की कमी पालक के सेवन से दूर हो जाती है। रक्त शुद्ध होता है तथा हड्डियां मजबूत बन जाती हैं।
अम्ल विकार — पालक वैल्शियम और क्षारीय पदार्थों का जाना—माना स्त्रोत है। अत: इससे पेट से अम्लता दूर होती है और रक्त की क्षारीयता का स्तर बना रहता है।
गर्भावस्था — गर्भावस्था में पालक का प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। इसमें लोहे की बहुतायत होने के कारण बच्चा और मां दोनों की लोहे की आवश्यकताएं पूरी होती हैं। विटामिन ए की बहुतायत से मां, बच्चा दोनों को ही लाभ होता है। पालक के सेवन से मां का दूध भी बढ़ता है। ‘
मूत्र विकार — पालक का पतला रस गोले के रस के साथ मिलाकर पीने से मूत्र खुलकर आता है। इसका सेवन दिन में दो बार करना चाहिए।