१. लिखने—पढ़ने का काम करते समय मेज—कुर्सी पर बैठकर काम करें। कुर्सी पर बैठते समय उचित मुद्रा में बैंठे। इस प्रकार सही मुद्रा में बैठने से आंखों पर जोर कम पड़ता है।
२. उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों को आंखों की जांच छ: माह में एक बार अवश्य करवानी चाहिए। सब ठीक—ठाक होने पर भी साल में एक बार नेत्र विशेषज्ञ से आंखों की जांच करवायें।
३. पढ़ते समय उचित रोशनी का ध्यान रखें। कम रोशनी में पढ़ने से आंखों पर प्रभाव पड़ता है। अधिक रोशनी भी आंखों के लिये उचित नहीं है।
४. चालीस वर्ष के बाद अपने रक्तचाप की जांच करवाते रहें क्योंकि लगातार रहने वाला उच्च रक्तचाप आंखों को नुक्सान पहुंचा सकता है।
५. लेट कर नहीं पढ़ना चाहिए। सुबह स्वच्छ ताजे जल से आंखों को अच्छी तरह साफ करें। नर्म तौलिए से आंखे धीरे—धीरे पोंछे। बाहर से घूम कर आने पर आंखों पर तेजी से छींटे मत मारे । आंखों को प्यार से स्वच्छ जल द्वारा धोकर नर्म तौलिए से नर्म हाथों द्वारा पोछें । अपने तौलिए को अलग रखें।
६. गर्मियों और आंधी के दिनों में अच्छे सन ग्लासेस का प्रयोग करें। आंखे कमजोर होने पर चश्मा डॉक्टरी परामर्श के अनुसार लगवायें। पढ़ते , गाड़ी चलाते, टी.वी. देखते, कम्प्यूटर पर काम करते समय चश्मा अवश्य प्रयोग में लाएं।
७. आंखों को तन्दुरूस्त रखने के लिये उचित आहार का ध्यान रखें। विटामिन ए, हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन नियमित करें।
८. किसी प्रकार की जलन और खुजली एक दो दिन तक लगातार रहने पर डाक्टर से शीघ्र परामर्श करें।
९. कम्प्यूटर पर एक दो घंटे लगातार काम करने के बाद ५—१० मिनट का आराम अवश्य लें।