आज की मशीनी जिंदगी में रात को देर से भोजन करना एक आम बात हो गई है । भारतीय परंपरा में वैसे ही सोने से तीन घंटे पूर्व भोजन करने की बात कही जाती है पर अब आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने भी इसका अनुमोदन कर दिया है। ब्रीच वैंडी अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमंत ठक्कर के अनुसार हमारा भोजन फूडपाइप से होने के पश्चात जीई वाल्व को खोलकर पेट में पहुंचता है।भोजन पूरा होने के पश्चात यह वाल्व बंद हो जाता है और पेट में भोजन का पाचन प्रारंभ हो जाता है। कुछ बिमारियों जैसे पेप्टिक अल्सर डिसीज, कुछ संक्रमण या कुछ मांसपेशियों संबंधी रोगों के कारण यह वाल्व ढीला हो जाता है और ठीक से बंद नहीं हो पाता जिससे कभी—कभी पच रहे भोजन के कण डकार के साथ गले या मुंह में आ जाते हैं। इससे सीने में जलन होने लगती है क्योंकि हमारा ईसोपेगस पाचक रसों में उपस्थित रसायनों को सहन नहीं कर पाता। बार—बार ऐसा होने से अल्सर भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में सीने में दर्द और कुछ भी निगलने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है जो कभी—कभी कैंसर में भी बदल सकता है। प्राय: मोटे और वृद्ध लोगों में भोजन, विशेषत: तैलीय और भारी भोजन के तुरंत पश्चात पेट भारी महसूस होने के कारण तुरंत लेट जाने की प्रवृत्ति होती है।
लेटने से भोजन के वापस फूड पाइप में जाने का खतरा बढ़ जाता है। इससे गला खराब होने और खांसी की संभावना भी बढ़ जाती है । कभी—कभी सोये—सोये भोजन फूडपाइप से विंड पाइप में जा सकता है जिससे गला खराब होने की शिकायत हो जाती है। यह शिकायत उन लोगों में अधिक होती है जो पेट के बल सोते हैं । इसका मुख्य इलाज भोजन के पश्चात कम से कम दो घंटे तक न लेटना है। कभी—कभी कुछ दवाएं भी दी जाती है। जिन्हें बार—बार यह शिकायत हो उन्हें हर्निया की शिकायत भी पैदा हो सकती है जिसमें इलाज के लिए शल्प क्रिया का सहारा लेना पड़ सकता है पर बढ़ती आयु के कारण पैदा हुई समस्या को कम मात्रा में भोजन लेकर एक्सरसाइज और प्राणायाम आदि द्वारा काबू रखा जा सकता है।