यदि आप बड़े—बड़े भूरे रंग के चिकने सुडौल आँवले देखकर उन्हें लेने के लिये ललचा नहीं जाते तो निश्चित ही आप इस अमृतफल के गुणों से अनमिज्ञ है। रसायन ….. टॉनिक के रूप में आंवला शरीर व स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। आंवला विटामिन ‘सी’ का अनूठा भण्डार है। जितना विटामिन ‘सी’ आंवले में होता है उतना किसी अन्य फल में नहीं होता। आंवले में विटामीन ‘सी’ नारंगी और मौसम्बी की तुलना में बीस गुना होता है। ध्यान देने योग्य बात तो यह है कि इसमें विटामिन ‘सी’ किसी भी सूरत में नष्ट नहीं होता।
आंवले के सेवन से कई रोग मिटाये जा सकते हैं। आंवले में स्थित विटामीन ‘सी’ शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति में बेहद वृद्धि करता है । आवंला रक्तशुद्धि करता है, साथ ही नया रक्त उत्पन्न करने में बहुत उपयोगी है। आंवले में पाया जाने वाला विटामिन ‘सी’ नेत्र ज्योति, केश, बहरापन दूर करने, मधुमेह मिटाने, रक्त बुद्धि, मसूढ़े व दांत, फैफड़े व त्वचा के लिये बहुत उपयोगी है।
सौंदर्य सजग महिलाओं के लिये यह वरदान है। आंवले का चूर्ण और पिसी मेहंदी मिलाकर लगाने से बाल पकते नहीं हैं और काले बने रहते हैं । आंवले के उपयोग से सुंदर नेत्र, कान्तिपूर्ण स्वच्छ त्वचा और तेजस्वी मुख आपके रूप लावण्य को और बढ़ाते हैं यह शरीर को स्फूर्तिवान एवं बलवान रखकर वृद्धावस्था को दूर रखने के लिये अत्यंत गुणकारी है।
आंवले का स्वाद पूर्णत: रूचिकर नहीं है, अत: इसका सेवन खाकर न करके इसके रस का सेवन कर अपेक्षित लाभ उठा सकते हैं। वैसे भी आंवले के मूल्यवान तत्वों का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिये उसका रसपान करना चाहिए। प्रात: काल खाली पेट आंवले का रसपान विशेष गुणकारी है। इसका रस आसानी से निकाला जा सकता है । ३—४ आंवलों का रस सुबह शाम लेना चाहिए। यदि थोड़ा बहुत जी मिचलाता है तो घबराना नहीं चाहिए । आंवला चटनी, मुरब्बा , आचार, चूर्ण आदि के रूप में भी गुणकारी बना रहता है।