हृदय रोगों का एक मुख्य कारण आनुवांशिक है। इसके अलावा तनाव और अन्य मानसिक परेशानियों के कारण भी हृदय रोगों के मामले बढ़ रहे हैं। मौजूदा समय में आनन-फानन में तैयार होने वंाले फास्ट फूड, वसा युक्त खाद्य पदार्र्थो, अत्यधिक मीठी वस्तुओं और डिब्बाबंद खाद्य सामग्रियों का प्रयोग हृदय रोगों की आशंका को बढ़ा रहा है। व्यायाम न करना, धूम्रपान और शराब सेवन के कारण भी हृदय रोगों के मामले बढ़त पर हैं।
इलाज की तकनीकें
हालांकि आज हृदय रोगों के इलाज की अनेक ऐसी तकनीकें विकसित हो चुकी हैं, जिनकी मदद से बाईपास सर्जरी की जरूरत काफी हद तक समाप्त हो गयी है। आज हृदय की तीन धमनियों में अवरोध (ब्लॉकेज) होने पर भी ओपन हार्ट सर्जरी के बगैर बैलूनिंग और स्टेंटिंग की मदद से अनेक रोगियों को स्वस्थ कर उनकी जान बचायी सकती है। अक्सर वृद्धों या उम्रदराज व्यक्तियों की धमनियों में पथरी पड़ जाती है। ऐसे मामलों में इन अवरोधों को खोलने के लिए डायमंड ड्रिलिंग तकनीक का सहारा लिया जाता है। नयी तकनीकों की मदद से किसी भी उम्र के व्यक्ति में रक्त धमनियों में अवरोध (ब्लॉकेज) को दूर करना संभव हो गया है। स्टेंटिंग के साथ एंजियोप्लास्टी की मदद से भी अवरुद्ध धमनियों को सफलतापूर्वक खोला जा रहा है। बैलूनिंग के जरिये न केवल धमनियों के अवरोध को दूर किया जा सकता है, बल्कि हृदय के संकरे, रुग्ण या विकारग्रस्त वाल्व को बदला जा सकता है, जबकि पहले सर्जरी करने की जरूरत पड़ती थी। इसके अलावा बच्चों के दिल में छेद को भी बिना ऑपरेशन बंद किया जा सकता है।
हाई ब्लडप्रेशर का इलाज
हृदय रोगों के इलाज के अलावा उच्च रक्त चाप (हाई ब्लडप्रेशर) के इलाज में भी काफी प्रगति हुई है। बीते दिनों हमारे हॉस्पिटल में रीनल डिनर्वेशन नामक आधुनिक विधि का पहली बार इस्तेमाल 52 वर्षीय श्रीमती शंकुतला शर्मा के अनियंत्रित उच्च रक्त चाप की समस्या को दूर करने के लिए किया गया, जो सफल रहा। पिछले दस वर्ष से अधिक समय से श्रीमती शकुंतला पांच तरह की दवाएं ले रही थीं, लेकिन दवाओं से उनका रक्तचाप नियंत्रित नहीं हो रहा था। ==बचाव== जो लोग हाई ब्लडप्रेशर (हाइपरटेंशन) व डाइबिटीज से ग्रस्त हैं, तो ऐसे लोगों को डॉक्टर से संपर्क कर चेकअॅप कराना चाहिए। इसी तरह जो लोग धूम्रपान व शराब सेवन करते हों, या जिन लोगों के यहां हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास रहा हो, उन्हें भी चेकअप करवाना चाहिए। ऐसे लोगों को चेकअप के बाद अगर जरूरत पड़े तो उनके बाजू के जरिये एंजियोग्राफी भी की जाती है, जिसे मैट्रो कोरोनरी स्क्रीनिंग कहते हैं। कई रोगियों के मामले में सी.टी. एंजियोग्राफी भी करायी जाती है। इस तरह हमें पता चल जाता है कि बीमारी का स्वरूप क्या है और उसके मुताबिक रोगी का इलाज किया जा सकता है। इन तकनीकों और कारगर उपचार विधियों की उपलब्धता के बावजूद हृदय रोगों से बचे रहने के लिए परहेज बरतना ही उचित है। नियमित व्यायाम करना, वजन पर नियंत्रण रखना और ब्लडप्रेशर को नियंत्रित कर हृदय रोगों से काफी हद तक बचा जा सकता है। इसी तरह खाद्य पदार्र्थो में नमक का कम से कम सेवन कर और तनाव से दूर रहने से हृदय रोगों से एक हद तक बचना संभव है।
(डॉ. पुरुषोत्तम लाल चीफ कार्डियोलॉजिस्ट मेट्रो हार्ट इंस्टीट्यूट, नोएडा)