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माता त्रिशला ने जन्म दिया, जगती को वीर मिला है!
June 17, 2020
भजन
jambudweep
माता त्रिशला ने जन्म दिया, जगती को वीर मिला है
कुण्डलपुर फिर चमक उठा………
माता त्रिशला ने जन्म दिया, जगती को वीर मिला है,
कुण्डलपुर की पुण्यधरा पर, शाश्वत फूल खिला है।
नंद्यावर्त महल और चहुँदिश पूर्ण भरा वैभव से,
नृप सिद्धार्थ भी धन्य हुए और विहर उठे गौरव से।
जैनधर्म की धवल पताका दिग् दिगंत फहराई है,
धन्य-धन्य हैं महावीर जिन शासन के हम अनुयायी है।
कालचक्र की आंधी से भूला जनमानस गरिमा को,
कुण्डलपुर एकांतवास ले जपता था जिन महिमा को।
कुण्डलपुर की सतत साधना ने अपना रंग दिखलाया,
ज्ञानमती माता के उर में पुण्य भाव था भर आया।
चलीं इन्द्रप्रस्थ से ले संघ, कुण्डलपुर की राह गही,
सहकर घोर परीषह भी अपने पथ से वो नहीं डिगीं।
दृढ़ निश्चय और कर्मठता ने वैभव फिर पधराया,
धन्य-धन्य माँ ज्ञानमती दुष्कर को सरल बनाया।
साथ चन्दनामति का साहस मोतीसागर की दृढ़ता,
कर्मयोगी भाई रवीन्द्र की पूर्ण समर्पित कर्मठता।
संघपति संग सब बहनों ने मिलकर भार उठाया,
कुण्डलपुर फिर चमक उठा खोया गौरव फिर पाया।
सबकी त्याग तपस्या का फल बंजर में फूल खिला है,
कुण्डलपुर के वैभव के दर्शन का लाभ मिला है।
भव्य भव्यतम जिन मंदिर की शोभा देख ‘‘सरोज’’ कहें,
भवसागर से तरणे को तरणी का फूल मिला है।
सदा चमकता रहे, वृद्धिंगत हो, यह भाव लिये हम,
दृढ़तर हो श्रद्धान हमारा हर पल यह भाव धरें हम।
हे जन्मभूमि उद्धारक माँ, है तुमको नमन हमारा,
दो आशीष सभी को माता, उज्ज्वल कर्म करें हम।
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