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कुण्डलपुर के राजदुलारे!
June 17, 2020
भजन
jambudweep
कुण्डलपुर के राजदुलारे
तर्ज-नरेन्द्रं फणीन्द्रं………………….
कुण्डलपुर के राज दुलारे, आज तेरा भक्त तुमको पुकारे,
पाप अनेकों किए मैंने प्रभुवर, क्षमा करो सब पाप हमारे।। कुण्डलपुर के………..।।१।।
महावीर स्वामी दया मुझपे कीजे, चरण में पड़ा हूँ शरण मुझको दीजे।
तुम हो दयालु करुणा के सागर, विनती मैं करता तेरे पास आकर।। कुण्डलपुर के………..।।२।।
जिन्हें तीन लोक भी शीश झुकावै, उन्हें त्रिशला माँ पालने में झुलावै।
पिता श्री सिद्धारथ रतन धन लुटावै, नर नारियाँ नाचै खुशियाँ मनावै।। कुण्डलपुर के………..।।३।।
महलों में तुमने था बचपन बिताया, महलों का सुख फिर भी तुमको न भाया।
विषयों में परिग्रह में सुख नहीं है, मिले सच्चा सुख त्याग से यह बताया।। कुण्डलपुर के………..।।४।।
सती चन्दना ने पुकारा तुम्हें जब, दिया दर्श तुरतहिं हरा दु:ख सब तब।
मैं भी पुकारूँ तुम्हें आज प्रभुवर, कर दो मेरी नैया भी पार जिनवर।। कुण्डलपुर के………..।।५।।
चरण आप रखते जहाँ भी धरा पर, खिले स्वर्ण पंकज तुरत उस जगह पर।
मेरे दिल में जब आप पूरण बसे हैं, तब क्यों न दुख मेरे सारे नशे हैं।। कुण्डलपुर के………..।।६।।
किया रागद्वेष न समता को धारा, पड़ा मोह में आत्म हित न विचारा।
मिटा दो ये अज्ञान तुम आज सारा, करो ज्ञान का मेरे मन में उजारा।। कुण्डलपुर के………..।।७।।
जब तक मेरा हो भ्रमण इस जगत में, सम्यक्त्व प्रभुवर कभी भी न छूटे।
करे विनती कर जोड़कर यह ‘प्रदीप’, कि जिनधर्म जिनवर कभी भी न छूटे।। कुण्डलपुर के………..।।८।।
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