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अयोध्या
ज्ञानमती मैया दे चरणों की छैया
June 17, 2020
भजन
jambudweep
ज्ञानमती मैया दे चरणों की छैया
तर्ज-मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया
ज्ञानमती मैया दे चरणों की छेैया तेरी कृपा से करूँ पार नैया द्वार
तेरे आये हैं भक्त सभी मिलके ज्ञान का तू उजाला दे हमें………।।टेक.।।
टिकैतनगर में जन्मी माता, हर्षित हुई मन मोहनी माता।
दर्शन हुआ तेरा बाजी बधाई, टिकैतनगर तेरी जन्मभूमि कहाई।
कल्याण कर दे मेरी झोली भर दे, किरपा मिले तेरी, उपकार कर दे।
तुझको ही याद करूँ, तेरा ही ध्यान करूँ, ज्ञान का तू उजाला दे हमें…………।।१।।
पहले तो माता पहुँची हस्तिनापुर नगर में, जम्बूद्वीप रचना का ध्यान था मन में।
रचना को साकार करके दिखाया, जम्बूद्वीप अतिशय क्षेत्र कहाया।।२।।
फिर माता आ पहुँची अयोध्या नगर में, ऋषभदेव प्रभु का ध्यान था मन में।
क्षेत्र का काया कल्प कराया, अयोध्या है जैन तीर्थ सबको बताया।।३।।
फिर माता जा पहुँची प्रयाग नगर में, तपोभूमि प्रभु की है, बतलाया तुमने।
‘ऋषभदेव तपस्थली’ तीर्थ बनाया, इस ओर सबका था ध्यान दिलाया।।४।।
फिर माता पहुँची कुण्डलपुर में महावीर जन्मभूमि विस्मृत थी सबसे।
माता ने सबका है ध्यान दिलाया, ‘नंद्यावर्त महल’ एक तीर्थ बनाया।
आओ भक्ति कर लें, प्रभु को सुमिर लें, तीरथ की महिमा का गुणगान कर लें।
धूली यहाँ की तो मस्तक लगाना है, ज्ञान का तू उजाला दे हमें………।।५।।
मांगीतुंगी, पावापुर, राजगृही में, महावीर जी, सम्मेदशिखर और तीरथ हैं कितने।
सभी ओर माता का ध्यान गया है, तीर्थ ही तीर्थ का विकास हुआ है।
कुछ कह न पाऊँ, जब-जब मैं आऊँ, विनती करो जो भी वो ही मैं पाऊँ।
महिमा है प्यारी तेरा दर है प्यारा, ज्ञान का तू उजाला दे हमें…………..।।६।।
अब माता आयेंगी ‘वाराणसी’ में, पाश्र्वनाथ जन्मभूमि का ध्यान है मन में।
तीन हजार वर्ष पूरे होने को आये, आओ सब मिलकर महोत्सव मनाएं।
एक बार फिर माता अयोध्या पधारों, विनती है सबकी इसे स्वीकारो।
पावन धरा है तुमने किया है, सुमिरन करूँ तेरा, भाग्य जगा है।
‘स्वाती’ को चरणों की रज को लगाना, ज्ञान का तू उजाला दे हमें……….।।७।।
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