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अहिच्छत्र जी तीरथ का, इतिहास पुराना है
December 10, 2017
भजन
jambudweep
अहिच्छत्र जी तीरथ का, इतिहास पुराना है
तर्ज-जय जय माँ ज्ञानमती………..
अहिच्छत्र जी तीरथ का, इतिहास पुराना है।
वहाँ पार्श्व जिनेश्वर का, अभिषेक कराना है।।
जहाँ जैनी संस्कृति का, भण्डार भरा सचमुच।
उपसर्ग की जो घटना, स्मरण कराती युग।।
उस तीरथ की रजकण, मस्तक पे लगाना है।
अहिच्छत्र……………………………।।१।।
यह तीर्थक्षेत्र पावन, कण-कण इसका पूजित।
वंदन इसका करके, मन होता है प्रमुदित।।
पारस की जय करके, अब पुण्य कमाना है।
अहिच्छत्र…………………………..।।२।।
गणिनी माँ ज्ञानमती की सम्प्रेरणा मिली।
‘‘चन्दनामती’’ प्रभु के, उत्सव की ज्योति जली।।
सब मिलकर तीरथ के गौरव को बढ़ाना है।
अहिच्छत्र……………………………।।३।।
सुर नर वंदित तीरथ, प्राचीन ये प्रतिमा है।
दुनिया में बढ़ेगी अब, इसकी गुण गरिमा है।।
संदेश अहिंसा का, सबको पहुँचाना है।
अहिच्छत्र……………………….।।४।।
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