मध्यप्रदेश के सागर जिलान्तर्गत रहली तहसील मुख्यालय में लगभग १२०० वर्ष प्राचीन श्री दिगम्बर जैन अतिशयकारी तीर्थक्षेत्र पटनागंज जी विशाल क्षेत्र स्थित है। स्वर्णभद्र नदी के सुरम्य तट पर एक ही परकोटे में अतिप्राचीन और अतिशयकारी ३० गगनचुंबी जिनालयों की लम्बी शृँखला है। इतने प्राचीन इस क्षेत्र और क्षेत्र पर विराजमान प्रतिमाओं का अतिशय आज भी विद्यमान है। औरंगजेब के समय किये गये बर्बर अत्याचार के बाद भी सुरक्षित रहे पटनागंज जैन तीर्थ से एकाएक शताब्दी पूर्व यहाँ फैली महामारी एवं वन्य प्राणियों के भय से जैन समाज ने पलायन कर दिया था। पूज्य क्षुल्लक श्री गणेशप्रसाद जी वर्णी सन् १९४४ में जब रहली क्षेत्र पधारे तो अतिशय क्षेत्र पटनागंज के हालात पर हतप्रभ रह गये। उन्होंने पटनागंज के जीर्णोद्धार का दृढ़ निश्चय किया। फलत: सम्पूर्ण जैन समाज का एकीकरण हुआ और तीसरे दिन जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ हुआ। इस तरह अपने समय से चरमोत्कर्ष और उत्कृष्ट भगवान महावीर स्वामी की विशाल प्रतिमा और सहस्रफणी पाश्र्वनाथ की अनूठी प्रतिमा सहित संपूर्ण क्षेत्र का अतिशयपूर्ण दर्शन एक बार फिर वर्णी जी के निमित्त से सुरम्य और सुलभ बन सका।
क्षेत्र के प्रमुख आकर्षण
भगवान मुनिसुव्रतनाथ जी-एक ही परकोटे में एक साथ ३० भव्य जिनमंदिरों में प्रतिष्ठित अतिशयकारी प्रतिमाओं के समूह में एक और अद्वितीय प्रतिमा उल्लेखनीय है। भगवान मुनिसुव्रतनाथजी की प्राचीनता की दृष्टि से भारत की सबसे विशाल पद्मासन प्रतिमा जो कि उत्थई वर्ण में है, अपने आप में अनूठी है। इसी मंदिर में दशवीं शताब्दी की दो प्रतिमाएँ एवं एक प्रतिमा अन्य वेदी पर स्थापित है। साथ ही साढ़े तीनफुट उत्तुंंग मूंगावर्ण की भगवान शांतिनाथ जी की अलौकिक प्रतिमा भी इसी मंदिर में विराजमान है। प्राचीन रचनाओं में नंदीश्वर द्वीप और पंचमेरु जिनालय के साथ ही समवसरण की रचना भी अतिप्राचीन कला से परिचित कराती है।
सहस्रकूट चैत्यालय- बेमिसाल औद अनूठी रचनाओं में दुनिया का सबसे बड़ा सहस्रकूट चैत्यालय भी कलाकृति का अद्भुत नमूना है। इस ९ फुट ऊँचे अति प्राचीन सहस्रकूट चैत्यालय में ३२ फुट की गोलाई में खड्गासन और पद्मासन मुद्रा में उत्कीर्ण १००८ अरहंत प्रतिमाओं के एक साथ दर्शन भी दर्शनार्थियों को क्षेत्र में बार-बार आने के लिए प्रेरित करते हैं।
सहस्रफणी पाश्र्वनाथ जी- चंदनवृष्टि (केशरवृष्टि) आदि अनेक अतिशययुक्त इस प्राचीन क्षेत्र में विराजित भगवान पाश्र्वनाथ जी की एक हजार आठ सर्प फणों से युक्त संसार की सबसे विशाल सहस्रफणी प्रतिमा सैकड़ों सालों से इस क्षेत्र को सुशोभित कर रही हैं।
बड़े बाबा भगवान महावीर स्वामी- भगवान महावीर स्वामीजी की (प्राचीनता की दृष्टि से) भारत की सबसे विशाल पद्मासन प्रतिमा पटनागंज के बड़े बाबा के रूप में विद्यमान है। खास बात यह है कि प्रतिष्ठित स्थल पर ही विशाल चट्टान में आसन सहित विशालकाय प्रतिमा उत्कीर्ण होने पर जब इसे अन्यत्र ले जाना संभव नहीं हो सका, तो इसी स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया, जो कि सदियों से अपनी अतिशययुक्त विशेषताओं के कारण आस्था का केन्द्र बिन्दु है। भारत की सबसे विशाल भगवान महावीर स्वामी की उत्तुंग १३फुट इस पद्मासन प्राचीन प्रतिमा के दर्शन कर धर्मावलम्बी श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएँ पूर्णकर सदियों से अपने जीवन को धन्य करते आ रहे हैं। बड़े बाबा की इस विशालतम प्राचीन और अतिशयकारी प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक विशेष अवसरों पर ही सम्पन्न होता है। प्रमुख रूप से भगवान महावीर जी जन्मजयंती दिवस एवं निर्वाणकल्याणक दिवस (दीपावली) पर प्रभावनापूर्ण महोत्सव के रूप में सौभाग्यशाली श्रद्धालु ‘बड़े बाबा’ का मस्तकाभिषेक कर अपने जीवन में पुण्य का संचय करके मानव जीवन को सार्थक बनाते हैं।
अतिशय- अतिशय क्षेत्र पटनागंज स्थित जिनालयोंं में भक्तिपूर्वक पूजन करते-करते गंधोदक नेत्र में लगाते हुए नेत्र-ज्योति प्राप्त करने वाले लोकमन पुजारी तीस वर्षों तक क्षेत्र पर पूजन-अर्चन करते रहे। क्षेत्र पर विस्तार की अनेक योजनाएँ चल रही हैं। क्षेत्र पर मंदिरों की संख्या ३० है। यह क्षेत्र सागर, दमोह, जबलपुर एवं नरसिंहपुर से ४२ किमी० दूर है। बस स्टैण्ड रहली से २ किमी.दूर है। सागर, दमोह, जबलपुर, पटेरिया, खुरई, बीना, गौरझामर इत्यादि स्थानों से बस सुविधा उपलब्ध है।
क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ- यहाँ यात्रियों के आवास हेतु ४० कमरे एवं ३ हाल हैं। गेस्ट हाउस है किन्तु शासकीय है। भोजनशाला सशुल्क है जहाँ यात्रियों के अनुरोध पर भोजन तैयार किया जाता है। विद्यालय (प्राथमिकशाला), औषधालय एवं पुस्तकालय भी है।
वार्षिक मेला- प्रतिवर्ष महावीर जयंती, दीपावली एवं मुकुटसप्तमी के दिन वार्षिक मेला लगता है।