स्वयंभूरमणद्वीपमध्यस्थाद्वलयाकृते। स्वयंप्रभाचलात्सर्वा कर्मभूमिर्बहि: स्थिता:।।३०।।
अर्थ—(वलयाकृते) वलयाकृति (स्वयंभूरमणद्वीपमध्यस्यात्) स्वयंभूरमण द्वीप के मध्यस्थ (स्वयंप्रभाचलात्) स्वयंप्रभ अचल से (बहि.) बाहर (सर्वा) सब (कर्मभूमि:) कर्मभूमि (स्थिता:) स्थित हैं। भावार्थ—स्वयंभूरमण द्वीप के मध्यस्थ वलयाकृति स्वयंप्रभ पर्वत से बाहर कर्मभूमि स्थित है।
स्वयंप्रभाचलादारात्परतो मानुषोत्तरात्। मध्याभूरन्तरद्वीपा जघन्या भोगभूमय:।।३१।।
अर्थ—(मानुषोत्तरात् ) मानुषोत्तर पर्वत से (परत:) आगे (स्वयंप्रभाचलात्) स्वयंप्रभाचल से (आरात्) पूर्व (मध्याभू:) मध्य भूमियों के (अन्तरद्वीपा:) अन्तर द्वीपों में (जघन्या) जघन्य (भोगभूमय:) भोगभूमियां हैं। भावार्थ—मानुषोत्तर पर्वत से लेकर स्वयंप्रभ पर्वत तक मध्य के असंख्यात द्वीप, समुद्र में जघन्य भोगभूमियां पाई जाती हैं।।३१।। (आचारसार, पृ. २४३)