यज्ञोपवीत धारण करके ही भगवान के अभिषेक व पूजा का विधान है।
यथा- श्री पूज्यपादस्वामीकृत अभिषेक पाठ से-
ब्रह्मस्थानमिदं दिशावलयमप्येतन्पवित्रांकुशै- रर्हद्ब्रह्ममहामहाध्वरविधिप्रत्यूहविध्वंसिभि:।
जैनब्रह्मजनैकभूषणमिदं यज्ञोपवीतं मया विभ्राणेन महेन्द्रविभ्रमकरं संघार्यते मण्डनम्।।५।।
(अभिषेक पाठ संग्रह पृ) श्री गुणभद्राचार्य कृत अभिषेक पाठ से-
ॐ मतिनिर्मलमुक्ताफलललितं यज्ञोपवीतमतिपूतम्।
रत्नत्रयमिति मत्वा करोमि कलुषापहरणमाभरणम्।।१५।।
(अभिषेक पाठ संग्रह पृ. १७) अन्य अभिषेक पाठ-
अतिनिर्मलमुक्ताफलललितं यज्ञोपवीतमतिपूतम्।
रत्नत्रयमिति मत्वा करोमि कलुषापहरणमाभरणम्।।
ॐ ह्रीं सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राय नम: स्वाहा।