हमारे देश में जितनी जैव—विविधता है उतनी धरती के किसी और हिस्से में नहीं है। आयुर्वेद ने जितनी वनस्पति है प्रत्येक को औषधि माना है। हमारी रसोई में जितने मसाले इस्तेमाल किये जाते हैं उतने दुनिया के किसी दूसरे देश के खान—पान में नहीं मिलते । जीरा भी इनमें से एक है। आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि गर्मियों की तपती धूप का सामना केवल जीरा और धनिए के दम पर किया जा सकता है। जीरा रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसके पानी से शैंपू करने के बाद धो लें। इससे बाल पुष्ट तो होंगे ही साथ ही जीरे में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स जड़ों को खोखला होने से बचाएंगे। बालों में रेशम सी चमक आ जाएगी जो किसी हेअर सीरम से या लोशन से हासिल नहीं हो पाएगी। किसी भी इन्सान को स्वस्थ रहने के लिए शरीर में लौह तत्व की उपस्थिति निहायत जरूरी है। रक्त में मौजूद लौह तत्व ऐसे खनिज के रूप में जाना जाता है जो लाल रक्तकणों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसी की मौजूदगी से ही रक्त प्रवाह में ऑक्सीजन ले जाने वाले हीमोग्लोबीन की संख्या में वृद्धि होती है। जीरे के पानी में लौह तत्व मौजूद होते हैं, इसलिए रक्तअल्पता के मरीजों को इसका उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए जीरें का पानी एक वरदान के रूप मे सामने आता है इससे गर्भवती महिला एवं स्तनपान कराने वाली महिला को लौह तत्व की पर्याप्त आपूर्ति होती है। गर्भस्थ शिशु की वृद्धि सहज होती है। जीरे के पानी का सीधा असर श्वास प्रणाली पर भी पड़ता है। चूकि जीरा प्राकृतिक तौर पर श्वास प्रणाली की जकडन दूर करता है इसलिए छाती में बलगम भी काफी मात्रा में बाहर निकल जाता है। खंखारने पर बलगम फैफड़ों और श्वास नलिका में अटकता नहीं है। जीरे में एंटीसेप्टिक प्रोपर्टी होने के कारण जुकाम और बुखार के लिए जिम्मेदार माइक्रोऑग्रेनिज्म को मार देता है। जीरे का पानी अनिद्रा दूर करता है और नियमित रूप से लेने वाले को गहरी नींद आती है । इससे मस्तिष्क की ताकत बढ़ती है और युवाओं में याददाशत की समस्या भी हल हो जाती है। परीक्षा के दिनों में बच्चों को जीरे का पानी जरूर पिलाएँ। इससे उनकी बौद्धिक क्षमता तीक्ष्ण होगी और वे क्लास में बेहतर कर सकेगे।