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१. जींस अब दुकानों से नई—नई आती हैं तो वैसी ही हालत में होती है जैसे की पहले चीथ्रे के रूप में दिखा करती है।
२. पहले लिखा होता था ‘कुत्ते से सावधान’ अब लिखा होता है ‘ सुरक्षार्थ प्रशिक्षित कुत्ता प्रांगण में है।
३. पहले स्कूल का काम (होमवर्क) न करने का बहाना होता था— ‘गाय—कुत्ता कॉपी चबा गया’ पर आज के कम्प्यूटर युग में होता है — ‘फ्लापी /डिस्क पर से सब मिट गया ।’ वायरस आ गया।
४. अब पत्रकारिता के पुराने ५‘क’ कौन, कहाँ ‘और’ किसके करीब।’
५. अब हमें बच्चों से यह कहना पड़ता कि पैसे पेड़ों पर नहीं लगते, अब तो एटीएम मशीनों की बदौलत वे जानते हैं कि वे (पैसे) दीवार से टपकते हैं।
६. कल तक बच्चों को कहानियाँ सुनाकर सुलाया जाता था अब बच्चे रात गए घर लौट कर ऐसे—ऐसे किस्से सुनाते हैं कि आप ही रात भर जागते रहते हैं।
७. आजकल निठल्ले बैठना विश्राम की श्रेणी में आने लगा हैं।
८. अभी एक पीढ़ी पहले तक दिन भर के काम के बाद आदमी को आराम की जरूरत होती थी पर अब व्यायाम की जरूरत होती है।
९. आज का व्यक्ति मित्रमंडली से नहीं, कंपनी के नाम से जाना जाता है।
१०. आज जब आप उच्चतर शिक्षा की चर्चा करते हैं तो आप शायद खर्च की ही बात कर रहे होते हैं।
११. पहले लोग सर्दियों में जलाने के लिए लकड़ी भी अपने हाथ से काटा करते थे, अब उनकी संताने अपने घर के चारों ओर लगी हरी बाड़ी भी मशीनों आरे से काटती छाँटती हैं।
१२. तथाकथित सादे— सरल आहार का अर्थ आज प्राय: यह होता है कि थाली खाली व मोटा बिल।