आपकी और अधिकतर लोगों की यही राय होगी कि जो व्यक्ति काम करते समय झपकी लेते हैं, वे काम से जी चुराते हैं। दफ्तरों में तो झपकी लेने वालों को कामचोर तक कहा जाता है। या फिर उनके झपकी लेने की इस प्रवृत्ति को कार्यालय के शिष्टाचारगत नियमों के विरूद्ध माना जाता है। इसके बावजूद हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की राय है कि झपकी लेने के बाद दिमाग एक बार फिर से तरोताजा हो जाता है। झपकी लेने से दिमाग को काफी राहत मिलती है। अध्ययनकर्ताओं ने कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोगों का अध्ययन किया। इसके तहत कम्प्यूटर पर विभिन्न लोगों की आकृतियां दिखाई गई । फिर इन आकृतियों को उनके विभिन्न स्वरूपों के लिहाज से वर्गीकृत करने को कहा गया । आधे लोगों से कहा गया कि वे कम्प्यूटर पर काम करने के दौरान बीच में १५—२० ाqमनट की झपकी ले लें। वहीं दूसरी और शेष लोगों को झपकी लेने से मना किया गया। इसके बाद इस शोध—अध्ययन में शामिल करने वाले लोगों की कार्यक्षमता का आकलन किया गया। अध्ययन से पता चला कि झपकी लेने वाले लोगों की कार्यक्षमता न लेने वाले लोगों से ज्यादा थी। बहरहाल यदि आपको परिस्थिति के अनुरूप मौका मिले तो आप कुर्सी पर बैठे — बैठे भी चन्द मिनटों की झपकी लेकर स्वयं को तरोताजा महसूस कर सकते हैं।