आपके घर में सीढ़ी तो आवश्य बनी होगी। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की सीढ़ियों से तरक्की की ऊंचाई पर भी पहुंचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि घर की सीढ़ी वास्तु नियमों के अनुसार बनी हो । सीढ़ी में वास्तुदोष होने पर तरक्की के बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है । वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। जो लोग पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवा रहे हों उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं हो । पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम ३ इंच होने पर घर वास्तुदोष से मुक्त होता है। सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण दिशा उत्तम होती है। इस दिशा में सीढ़ी होने पर घर प्रगति की ओर अग्रसर रहता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर—पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दिशा में सीढ़ी का होना अवनति का प्रतीक माना गया है। दक्षिण पूर्व में सीढ़ियों का होना भी वास्तु के अनुसार नुकसानदेय होता है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य में उतार—चढ़ाव बना रहता है। जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए।वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे किरायदार दिनोदिन उन्नति करते हैं और मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है। सीढ़ियों के वास्तुदोष को दूर करने के उपाय
१. सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाएं।
२. सीढ़ी के नीचे जूते—चप्पल एवं घर का बेकार सामान नहीं रखें।
३. मिट्टी के बर्तन में बरसात का जल भरकर उसे मिट्टी के ढक्कन से ढंक दें।