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हे माता धन्य हो तुम!
June 14, 2020
भजन
jambudweep
हे माता धन्य हो तुम
तर्ज-तुम दिल की धड़कन में रहते हो………
हे माता धन्य हो तुम, कितना परिषह सहती हो।
सर्दी गर्मी या हो वर्षा, तुम अपने में रहती हो।।
हे माता धन्य हो तुम……………………………..
श्री आचार्य वीरसागर से दीक्षा तुमने पायी है।
मैंना से फिर ज्ञानमती बनकर दुनिया में आयी है।।
संयम ही जीवन है, प्रवचन में कहती हो।
हे माता धन्य हो तुम कितना परिषह सहती हो।।
तीर्थंकरों की जन्मभूमियों का विकास करवाया है।
दीक्षा स्वर्ण जयंती का शुभ अवसर आया है।।
तप संयम उत्तम है, प्रवचन में कहती हो।
हे माता धन्य हो तुम कितना परिषह सहती हो।।
हस्तिनापुर में जम्बूद्वीप की रचना करवाई है।
संजय, समता, संयम के जीवन में खुशियाँ आई हैं।।
नये-नये ग्रंथों की रचना, माता तुम तो करती हो।
हे माता धन्य हो तुम कितना परिषह सहती हो।।
सदी गर्मी या हो वर्षा तुम अपने में रहती हो।।
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