तर्ज-देखो तेरहद्वीप के अंदर……
हीरक जन्मजयंती आई, ज्ञानमती माताजी की-२।
ज्ञान की मूरत ज्ञान की सूरत, ज्ञान की गंगा हैं माता-२।
ज्ञानदीप से करें आरती, ज्ञानमती माताजी की।।१।।
जिनवर कन्या गणिनी माता, जग की पूज्य धरोहर हैं।
अष्टद्रव्य से करें अर्चना, ज्ञानमती माताजी की।।२।।
मूलाचार व नियमसार अरु समयसार इनमें दिखता।
इसीलिए हम करें वंदना, ज्ञानमती माताजी की।।३।।
कुन्दकुन्द अकलंक देव अरु, वीरसेन सूरी जैसी।
साहित्यिक कृतियाँ मिलती हैं, ज्ञानमती माताजी की।।४।।
हीरे सी प्रतिभा है मुख पर, स्वर्णिम छवि है आत्मा की।
जन्मतिथी है शरदपूर्णिमा, ज्ञानमती माताजी की।।५।।
हम को तेरा हीरे सम व्यक्तित्व सुहाना लगता है।
करे ‘‘चंदनामती’’ वंदना, ज्ञानमती माताजी की।।६।।