बंद होगा १० रूपये का नोट !किलो के भाव बिक रहा है ५० पैसे का सिक्का
बड़े मजे की बात है कि भारतीय रिर्जव बैंक आफ इंडिया ने साल २००५ के बाद वाले नोटों को बाजार से बाहर करने का फैसला किया। वहीं आम आदमी ने सिक्कों को बाजार से निकालने का फैसला बहुत पहले ही ले लिया था। खासतौर पर ५० पैसे का सिक्का। सरकार ने वर्ष २०११ में २५ पैसे का सिक्का बंद कर दिया था। आर बी आई ने पुराने नोटों की जगह नए नोटों को जारी करने की वजह ब्लैक मनी बताया।वैंद्रीय बैंक नए नोटों को पहले से ज्यादा बेहतर और सुरक्षित बना रही है। वहीं आम जनता ने पहले ही ५० पैसे के सिक्कों को लेने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि वर्तमान में यह रोजाना इस्तेमाल के लायक नहीं बचा है। प्रकाशित खबर में एक मजेदार बात को भी उजागर किया है। इसमें कहा गया है कि इस सिक्के को अब वजन के हिसाब से नापा जा रहा है। एक रेड़ीवाला एक किलो ५० पैसे के सिक्के के बदले ३० रूपये देने को तैयार है। इसका साफ मतलब यह निकलता है कि ५० पैसे का सिक्का ज्यादा मूल्यावान हो गया है। अब आप यहां नोटों और मुद्रा की छपाई के पीछे तर्क को समझे। सरकार अब मुद्रा नोटों को कम करने की कोशिश कर रही है । जल्द ही १० रूपये के नोट की जगह सिक्का ले लेगा । क्योंकि पर्स में रखे—रखे नोटों की जिंदगी सीमित रह जाती है और इसकी छपाई भी मंहगी पड़ती है । यही वजह है कि कम मूल्य वाले नोटों को बाहर कर दिया जाएगा और सिक्के उनकी जगह ले लेंगें। जल्द ही ५० रूपये का नोट ही न्यूनतम मूल्य वाला नोट होगा, हालांकि, अब भी बीस रूपये का नोट मौजूद है। अर्थशास्त्रियों की माने तो कम मूल्य वाले सिक्कों को इसलिये भी बाहर कर दिया गया है क्योंकि अब ५० पैसे में अब कुछ भी नहीं खरीद सकते। यह दर्शाता है कि महंगाई ने इन सिक्कों का जीवन खत्म कर दिया है। उनके मुताबिक, सिक्के को पिघलाने के बाद इसका मूल्य ३० फीसद तक बढ़ जाता है। अकबर के जमाने से चलन में ५० पैसे का सिक्का पांच सदी पहले अकबर के शासन काल में प्रचलन में आय