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तत्त्वार्थसूत्र भजन- छठी अध्याय!
June 14, 2020
भजन
jambudweep
भजन-६ छठी अध्याय
हे वीतराग सर्वज्ञ देव! तुम हित उपदेशी कहलाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।टेक.।।
तत्त्वार्थसूत्र षष्ठम अध्याय में, गुरु ने आश्रव तत्त्व कहा।
आत्मा में कर्मों का आना ही, समझो आश्रव तत्त्व रहा।।
तीनों योगों के द्वारा वे, शुभ-अशुभरूप हैं बन जाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।१।।
कर देव-शास्त्र-गुरु की भक्ती, शुभ आश्रव मानव कर सकता।
अरु अशुभाश्रव के कारण पर की, निंदा आदिक तज सकता।।
नज भावों के कर्ता धर्ता, ये जीव स्वयं ही कहलाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।२।।
हर प्राणी के प्रति मैत्री हो, गुणवानों के गुण ग्रहण करें।
हो दुखियों के प्रति दया भाव, विपरीत में मध्यम भाव धरें।।
‘‘चंदनामती’’ ये भाव शुभाश्रव, में कारण माने जाते।
तव गुणमणि की उपलब्धि हेतु, श्री उमास्वामि तव गुण गाते।।३।।
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Tatvaarth Sutra bhajan
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हे माता धन्य हो तुम!
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