त्रस स्थावर आदि अन्य पर्यायोें में घूमकर पापोदयवश पुन: पुन: निगोद को प्राप्त होने वाले को इतर निगोद संज्ञा है ।
प्रत्येक व साधारणा दो प्रकार की वनस्पतियों मेंं एक जीव के शरीर को प्रत्येक और अनन्तों जीवों के साझले शरीर को साधारण कहते हैं क्योंकि उस शरीर में उन अनन्तों जीवों का जन्म, मरण, स्वासोच्छ्वास आदि साधारण रूप से अर्थात् एक साथ समान रूप से होता है । एक ही शरीर में अनन्तों बसते हैं इसलिए इस शरीर को निगोद कहते है वहह नित्यनिगोद व इतरनिगोद के भेद से दो प्रकार का है ।