A particular kind of ritual procedure of purifying the idol of Lord Jinendra with the 113 auspicious pitchers containing water mixed with different leaf-powders & pure ashes, to be ob served in Panchkalyanak Pratishtha.
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में जन्मकल्याणक के दिन 113 कलशांद्वारा (विभिन्न पत्तों के चूर्ण एंव भस्म आदि से सहित) प्रतिमाओं की विशेष शुद्धि हेतु की जाने वाली विधि।