इमली से हम सब परिचित हैं। इमली के वृक्ष काफी ऊँचे होते हैं तथा सघन छायादार होने के कारण सडकों के किनारे भी इसके वृक्ष लगाए जाते हैं । इमली का वृक्ष उष्णकटिबंधीय अफ्रीका तथा मेडागास्कर का मूल निवासी है । वहां से यह भारत में आया और अब पूरे भारतवर्ष में प्राप्त होता है । यहाँ से ईरान तथा सऊदी अरब में पहुंचा जहाँ इसे तमार-ए-हिन्द (भारत का खजूर ) कहते हैं “इसका पुष्पकाल फ़रवरी से अप्रैल तथा फलकाल नवंबर से जनवरी तक होता है । इसके फल में शर्करा,टार्टरिक अम्ल,पेक्टिन,ऑक्जेलिक अम्ल तथा मौलिक अम्ल आदि तथा बीज में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं । यह कैल्शियम,लौह तत्व,विटामिन B ,C तथा फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है । आज हम आपको इमली के औषधीय गुणों से अवगत करा रहे हैं ।
१-१० ग्राम इमली को एक गिलास पानी में भिगोकर,मसल-छानकर ,शक्कर मिलाकर पीने से सिर दर्द में लाभ होता है।
२-इमली को पानी में डालकर ,अच्छी तरह मसल- छानकर, कुल्ला करने से मुँह के छालों में लाभ होता है। ३-१० ग्राम इमली को १ लीटर पानी में उबाल लें जब आधा रह जाए तो उसमे १० मिलीलीटर गुलाबजल मिलाकर,छानकर,कुल्ला करने से गले की सूजन ठीक होती है । ४- इमली के दस से पंद्रह ग्राम पत्तों को ४०० मिलीलीटर पानी में पकाकर ,एक चौथाई भाग शेष रहने पर छानकर पीने से आंवयुक्त दस्त में लाभ होता है । ५- इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना कर लेप लगाने से मोच में लाभ होता है । ६- इमली के बीज को नींबू के रस में पीसकर लगाने से दाद में लाभ होता है । ७-गर्मियों में ताजगी दायक पेय बनाने के लिए इमली को पानी में कुछ देर के लिए भिगोएँ व मसलकर इसका पानी छान लें। अब उसमें स्वादानुसार गुड़ या शक़्कर , नमक व भुना जीरा डाल लें। इसमें ताजे पुदीने की पत्तियाँ स्फूर्ति की अनुभूति बढ़ाती हैं ,अतः ताजे पुदीने की पत्तियाँ भी इस पेय में डाली जा सकती हैं । नोट — चूँकि इमली खट्टी होती है अतः इसे भिगोने के लिए कांच या मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाना चाहिए ।