१.सप्त व्यसन (जुआ, चोरी, शिकार, मांस, शराब, परस्त्री सेवन और वेश्यागमन) का आजीवन के लिए त्याग ।
२. अष्ट् मूल गुण का नियम अर्थात् मद्य, मधु, मांस एवं बड़, पीपल, ऊमर,कठूमर और पाकर के फलों का त्याग।
३. रात्रि भोजन का त्याग— (सब कुछ या पेय की छूट। आजीवन या कुछ वर्ष)
४. नित्य जिनेन्द्र देव दर्शन—(बीमारी और सफर में छूट)।
५. पानी छानकर पीना— (मात्र घर में या सभी जगह)
६. चमड़ा निर्मित वस्तुओं (जूता, चप्पल, बेल्ट, बैग, पर्स इत्यादि) का आजीवन के लिए त्याग।
७. हिंसा से निर्मित नेल पॉलिश, लिपिस्टिक, साबुन आदि का आजीवन के लिए त्याग।
८. रेशम से निर्मित साड़ी, कुर्ता इत्यादि वस्त्रों का जीवनपर्यंत त्याग।
९. रोज णमोकार मंत्र की जप माला करने का नियम।
१०. आगम ग्रंथो के स्वाध्याय करने या सुनने का नियम जैन धर्म के ।(बाहर या बीमारी की अवस्था में छूट)
११. रोज या सप्ताह में एक बार अष्ट द्रव्य से वीतरागी देव—शास्त्र—गुरु की पूजन करने का नियम (बाहर या बीमारी की अवस्था में छूट)
१२. कंदमूल (आलू, गाजर, मूली, प्याज, लहसुन, गीला अदरक, शकरकंद आदि) का आजीवन के लिए त्याग।
१३. चमड़े में रखे गये खाद्य पदार्थों का त्याग।
१४. तम्बाकू, सिगरेट, बीड़ी, भांग, गांजा, अफीम इत्यादि के नशीली वस्तुओं का आजीवन के लिए त्याग।
१५. निर्माल्य (पूजा द्रव्य) खाने का आजीवन के लिए त्याग।
१६. नित्य भक्तामर स्तोत्र पढ़ने या सुनने का नियम (बाहर की छूट)
१७. रात्रि में शयन करने के पहले एवं सुबह शयन से उठने पर वीतराग भगवान का नाम स्मरण या णमोकार मत्रं का नौं बार अथवा एक सौ आठ बार जप करने का नियम।
१८. किसी भी जीव को जानकर नहीं मारेंगे, ऐसा नियम।
१९. पटाखे फोड़ने और आतिशबाजी करने का आजीवन के लिए त्याग ।
२०. पान पराग खाने का आजीवन के लिए त्याग।
२१. बैंगन (भटे) का आजीवन के लिए त्याग।
२२. हिंसक वस्तुएं (अस्त्र, शस्त्र, चमड़ा, कीटनाशक दवाइयाँ, हिंसक एवं अशुद्ध वस्तुओं से बने सामान) बेचने का त्याग।
२३. रोज या अष्टमी—चतुर्दशी को जैन मंदिर की दान पेटी में कुछ पैसा डालने का नियम।
२४. बेर खाने का आजीवन के लिए त्याग।
२५. बाजार की आइस्क्रीम खाने का आजीवन के लिए त्याग ।
२६. बाजार में तैयार हुई मिठाई आदि वस्तुओं का मंदिर में चढ़ाने का हमेशा के लिए त्याग।
२७. अमर्यादित या त्रस जीवों से सहित अशुद्ध पूजा सामग्री का मंदिर में ले जाने का आजीवन के लिए त्याग।
२८. विकथा (सांसारिक एवं पाप कथा) करने का हमेशा के लिए त्याग।
२९. प्रतिदिन कुछ समय मौन व्रत रखने का नियम।
३०. दिन में भोजन दो या तीन बार करने का नियम हमेशा के लिए— (सबकुछ या पेय की छूट)।
३१. बाजार में बने अशुद्ध आहार करने का आजीवन के लिए त्याग।
३२. शक्ति अनुसार चाय पीने का त्याग।
३३. कॉफी पीने का त्याग।
३४. सेंट (इत्र) लगाने का हमेशा के लिए त्याग ।
३५. पान खाने का हमेशा के लिए त्याग।
३६. भोजन करने के पहले एवं अंत में नौ बार णमोकार मंत्र पढ़ने का नियम।
३७. भोजन करते समय मौन रहने का नियम।
३८. शैम्पू लगाने का हमेशा के लिए त्याग।
३९. पाउडर लगाने का हमेशा के लिए त्याग।
४०. शुद्ध वस्त्रों के साथ मर्यादा सहित शुद्ध भोजन करने का नियम।
४१. फिल्म देखने का एवं फिल्मी गाने सुनने का त्याग।
४२. ब्रह्मचर्य व्रत— अष्ट्मी , चतुर्दशी, दशलक्षण पर्व, अष्टन्हिका पर्व में अथवा एक पक्ष, मास के लिए अथवा एक, दो, तीन आदि वर्ष या आजीवन के लिए (अविवाहित जन अपने माता—पिता आदि की अनुमतिपूर्वक और विवाहित जन अपनी स्त्री या पुरूष से अनुमतिपूर्वक यह व्रत ग्रहण करें)।
४३. अपव्ययादि से बचने के लिए वायुयान में जाने का त्याग।
४४. बिना अनुमति के किसी की वस्तु उठाने का सदा के लिए त्याग या किसी की वस्तु पर अधिकार जमाने को त्याग।
४५. चोरी की वस्तु खरीदने एवं बेचने का हमेशा के लिए त्याग।
४६. धर्म के क्षेत्र में भी झूठा बनावटी बोलने एवं झूठे लेख लिखने का आजीवन के लिए त्याग।
४७. दूसरों की निंदा (बुराई) करने या सुनने का हमेशा के लिए त्याग।
४८. मक्खन खाने का आजीवन के लिए त्याग।
४९. चौबीस घण्टे के बाहर मर्यादा वाले अचार, मुरब्बे खाने का आजीवन के लिए त्याग।
५०. वर्ष में एक बार आवश्यक रूप में तीर्थ क्षेत्र या अतिशय क्षेत्र के दर्शन करने का नियम।
५१. तीर्थ यात्रा हेतु या धार्मिक दान हेतु अपने व्यापार के लिए लाभ में से शक्ति अनुसार प्रतिदिन कुछ पैसे संग्रह करने का नियम।
५२. अष्ट्मी—चतुर्दशी या दशलक्षण, अष्टन्हिका, सोलहकरण आदि पर्व के दिन में साबुन या सुगंधित तेल इत्यादि लगाने का त्याग एवं बाल कटवाने का त्याग।
५३. चार—छ: मास में वीतराग प्रतिमाओं का मंजन (मांजकर स्वच्छ करना) एवं शास्त्रों को व्यवस्थित करने का नियम । ५४. नौकरों द्वारा बनाए गए भोजन का त्याग।