एक परिवार के कुछ लोग नदी के किनारे घूमने निकले। प्रेम और शांति से धीरे—धीरे वार्तालाप चल रहा था पर अचानक वे जोर—जोर से बोलने लगे, एक—दूसरे पर क्रोधित हो चिल्लाने लगे।
प्रश्न— क्रोध में एक—दूसरे पर चिल्लाना क्यों शुरू होता है ? जबकि व्यक्ति सामने ही खड़ा है, उस पर चिल्लाने की क्या जरूरत है, जो कुछ कहना है, धीमी आवाज में भी तो कह सकते है?
उत्तर— जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक—दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं और इस अवस्था में वे एक दूसरे की बात को बिना चिल्लाए नहीं सुन सकते। वे जितना अधिक क्रोधित होंगे, उनके दिलों के बीच की दूरी उतनी ही अधिक होती जाएगी और उन्हें ही तेजी से जोर—जोर से चीखना—चिल्लाना पड़ेगा।
प्रश्न— क्या होता है जब लोग आपसी प्रेम में रहते हैं ?
उत्तर— वे चिल्लाते नहीं, धीरे—धीरे बात करते हैं क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं, उनके बीच की दूरी नाममात्र की रह जाती है।
प्रश्न— जब लोगों का आपसी प्रेम प्रगाढ़ हो जाता है तब क्या होता है ?
उत्तर— तब वे बोलते भी नहीं, वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं। तभी तो कहा जाता है कि प्रेम की भाषा आँखें बोलती हैं, दिल सुनता है इसीलिए प्रेम की बात कहने के लिए न तो जुबान की जरूरत होती है और न ही सुनने के लिए कान की आवश्यकता होती है।