ऐसा कोई पौधा नहीं है , जो औषध न हो, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो काम का न हो, इनको यथा योग्य काम में लगाने वाला चाहिए।
यस्यकार्य न विघ्नन्ति शीत मुष्ठां भयं रति: । समृद्धिरराभृद्धिर्वा सं वै पंडित उच्यते।
—महाभारत
जिसके कार्य में सर्दी, गर्मी, भय, प्रीति, सम्पन्नता अथवा दरिद्रता कोई विघ्न बाधा नहीं पहुंचाती वहीं पंडित (कार्यकर्ता) कहलाता है। किसी भी लक्ष्य कार्य या योजना को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है, इसे यूँ कहे कि कार्यकर्ता किसी भी सफलता की साधना के लिए मुख्य आधार होता है, नींव का पत्थर होता है तो कोई अत्युक्ति नहीं होगी, सफलता की इमारत को नींव से शिखर तक गढ़ने का मुख्य शिल्पी एक कुशल, सजग, दृढ़ निश्चयी, परिश्रमी, नैतिकता के गुणों से सम्पन्न, वाकपटु,विवेकशील, परिस्थिति के अनुकूल,लक्ष्य और विषय की जानकारी, समन्वयवादी, विनम्र कार्यकर्ता ही होता है। अंग्रेजी भाषा में सक्रिय कार्यकर्ता ही होता है। अंग्रेजी भाषा में सक्रिय कार्यकर्ता को Activist(कार्यकर्ता) के नाम से पुकारा जाता है। वर्तमान जनसंचार माध्यमों में यह शब्द विभिन्न आन्दोलनों, सामाजिक कार्यों आदि के लिए बहुप्रचारित शब्द है कहीं—कहीं इस शब्द का अवमूल्यन होने के कारण इसका प्रयोग उग्रवादी, हिंसक कार्य से जुड़े असामाजिक तत्वों के रूप में भी होने लगा है। एक्टिविस्ट शब्द के प्रत्येक अक्षर की व्यापक अर्थ के आधार पर विवेचन, विश्लेषण और व्याख्या करें तो इनसे इस प्रकार के अर्थ और आशय ध्वनित होते हैं।
A- Acive- एक्टिव—सक्रिय— अर्थात् जो अपने लक्ष्य और कर्म के प्रति तन—मन—धन से पूरी निष्ठा के साथ सतत् संलग्न और सक्रिय हो, बिना रूके अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए कड़ी मेहनत करता रहे। अपने सपनों को प्राणवान बनायें—जैसे, मंजिले उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।
पंखों से कुछ नहीं होती है, होंसलों में उड़ान होती है। गोभक्त कार्यकर्ता की पहचान उसकी सक्रियता है।
C- Confident- कॉन्फिडेन्ट—आत्मविश्वास — एक अच्छे कार्यकर्ता में अपने लक्ष्य के प्रति गहन आत्म विश्वास होना जरूरी है जैसे बाल गंगाधर तिलक ने कहा था— स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, इसे मैं प्राप्त करके रहूंगा। दृढ़ आत्मविश्वास के बारे में—
हम भी दरिया है, हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा। अपने कार्य अपने पुरुषार्थ से हम यश प्राप्त करेंगे यही आत्म विश्वास, उसका विजय मार्ग है।
T- Talent- टेलेन्ट—प्रतिभा — एक सजग कार्यकर्ता का प्रमुख गुण उसमें समय और परिस्थिति के अनुकूल ज्ञान अर्थात टेलेन्ट होना बहुत जरूरी है। जैसे अर्जुन ने अपने टेलेन्ट के आधार पर गुरु द्रोण को उत्तर दिया था। गुरुवर मुझे इस समय केवल चिड़िया की आँख दिखाई दे रही है। भारतीय नस्ल की गाय के रक्षण संवर्धन सेवा में ही अपनी प्रतिभा का समर्पण। I- Inrelligent- इन्टेलिजेन्ट—बुद्धिमान — यदि कार्यकर्ता इंटेलिजेन्ट नहीं होगा तो उसे असफलता का मुँह भी देखना पड़ सकता है अत: कार्यकर्ता को प्रत्युत्पन्नति त्वरित निर्णय लेने वाला होना चाहिए जैसे एक बाइक सवार भीड़—भाड़ से बचते हुए अपने लक्ष्य की ओर पहुंचता है वह स्वयं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेता है कि उसे कहाँ ब्रेक लगाना है और कैसे दुर्घटना से बचना है। गोरक्षक कार्यकर्ता को विधि और विधिनिषेध का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है। वर्तमान के प्रचार प्रसार के युग में समस्त संसाधनों का उपयोग करना चाहिए जिससे सामाजिक संवाद सम्प्रेषण (सोशल मीडिया) से भी गोवंश की सकारात्मक दृष्टि व सृष्टि का निर्माण किया जा सके।
V- Virtual- वर्चुअल—गुणवान — कार्यकर्ता वर्चुअल अर्थात जिस लक्ष्य और कार्य के निमित्त सक्रिय है उस कार्य से जुड़े हुए गुणों से सम्पन्न होना चाहिए उसे निराशाओं, बाधाओं एवं कार्य में आये हुए अवरोधों से उबरने के लिए आपदा प्रबंधन जैसे गुणों से सम्पन्न होना चाहिए। उसके गुण ही अंधेरों को दूर कर सफलता के द्वार खोल सकते हैं।जैसे—
उजालों के लिए खुद द्वार तुमको खोलने होंगे किसी के बंद दरवाजे में कभी सूरज नहीं आताअपने गुणों से हम संगठन को प्रभावी, परिणामकारी बना सकते हैंसंगठन मंत्र मित्रता का जोड़ करो, शत्रुता का घटाव करो आनंद का गुणा करो, गमों का भाग करो। जिंदगी का वर्गमूल अपने आप निकल जायेगा हे मानव, जीवन में विजय ही विजय पायेगा।
I- Innocent- इनोसेन्ट— निर्दोष — कोई दागदार कार्यकर्ता कभी भी लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए उसका दोषमुक्त होना जरूरी है। नशे—पत्ते आदि के सभी प्रकार के अवगुणों से उसे मुक्त होना चाहिए। यदि कार्यकर्ता में दोष होंगे तो उसकी स्थिति कुछ ऐसी ही होगी—
S- Sincere- सिन्सिअर—निष्ठावान —कार्यकर्ता की अपने कर्म के प्रति पूर्ण निष्ठा होनी चाहिए। कोई कार्यकर्ता सहयोगी बने या ना बने, उसकी निष्ठा अपने उद्देश्य के प्रति दृढ़ होना चाहिए।ठीक वैसे ही जैसे चाणक्य ने अहंकारी राजा नंद को उत्तर देते हुए कहा था— मेरी निष्ठा व्यक्ति के प्रति नहीं अपितु राष्ट्र के प्रति है। अकेले चाणक्य ने इस बात को सार्थक किया था। यह ठीक है—जैसे अकेला चना (कभी भाड़ नहीं फोड़ सकता) मगर निशाना अचूक हो तो किसी की आँख जरूर फोड़ कता है।क्योंकि आत्मविश्वास से असंभव कार्य भी सुगम और संभव हो जाते हैं।
T- Truthful- ट्रुथफुल—सत्यवादी — कार्यकर्ता सत्यवादी और स्पष्टवादी होना चाहिए कहा भी गया है, सत्य परेशान हो सकता है किन्तु पराजित नहीं होता है। और जिसके साथ सत्य है वह अकेला होते हुए भी अकेला नहीं है, बहुमत में है। एक सच्चा कार्यकर्ता अपने पीछे कई—कई कार्यकर्ताओं को जोड़कर सत्य को सार्थक कर सकता है । सहयोगियों की फौज खड़ी कर सकता है।If you tough the rock, अगर आप चट्टान को छूते हैं तो You touch the past, आप बीते हुए कल को स्पर्श (स्मरण) करते हैं। If you tough the flower अगर आप पुष्प को छुते हैं तो You touch the present आप वर्तमान को स्पर्श करते हैं । If you tough the future, आप युवा को छुते है तो, you tought the future,आप भविष्य को स्पर्श करते है।हम तो चले थे जानिबे मंजिल की ओर, लोग मिलते गये और कारवां बढ़ता गया,वस्तुत: सत्य को प्रमाण किया जाता है क्योंकि सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। सत्य तो प्रत्यक्ष होता है—हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या ?हस्त रेखा (भाग्य रेखा)— भाग्य के भरोसे रहना। त्रस्त रेखा (दु:खी रेखा)— सदैव त्रस्त (दु:खी) रहना, परेशान रहना। अस्त—व्यस्त रेखा (अव्यवस्थित जीवन रेखा)— स्वयं न कुछ करते हैं, और न किसी को करने देते हैं। दूसरों के अवसान में व्यस्त रहते हैं। मस्त रेखा (आनंद रेखा)— जीवन में आनंद उन्हीं को प्राप्त होता है जो कार्य परिणाम तक पहुंचाने आप भविष्य को स्पर्श करते है। कार्यकर्ता में TAPE (टेप) जैसे गुण होना चाहिए। कार्यकर्ता में TAPE(टेप) जैसे अवगुण नहीं होना चाहिए।
T-(TIME) टाईम— समयबद्धता ऊ T-(Tension) टेंशन— (तनाव रहित रहना) A- (Action) एक्शन— क्रियान्वयन A- A-(Allergy) एलर्जी— (परस्पर दुराव न रहे) P- (Planning) प्लानिंग— योजनाबद्धता P(Prejudice) प्रेज्युडिस— (पूर्वाग्रह कार्य में बाधा है) E- (Effirncy) इफिशिएन्सी—योग्यता का विकास E-(Ego) इगो— अहंकार। अहंकार ऊपर उठने नहीं देता और स्वाभिमान नीचे गिरने नहीं देता।बड़े कम जर्फ कमजोर होते हैं गुब्बारे, जो एक फूंक में फूल जाते हैं। जब इन्सान उर्ज (ओहदा) पाते हैं, तो अपनी औकात भूल जाते है।Pick Up- पिक अप — ग्रहण करो—आया हुआ युवक/व्यक्ति परमेश्वर ने भेजा है परमेश्वर के प्रतिनिधि के रूप में ग्रहण करो, पकड़ो। Pin Up- पिन अप— जोड़ो—कार्य के साथ जोड़ों अर्थात् दायित्व दो। Pull Up- पुल अप— विकसित करो— विकास करना, उसमें स्थित गुणों को विकसित करना। Push Up- पुश अप— आगे बढ़ाओ— उनकी क्षमताओं का विचार करते हुए आगे बढ़ाओ। एक गुब्बारे बेचने वाला व्यक्ति रंग बिरंगे गुब्बारे बेच रहा था। गुब्बारे में हवा भरता धागे से बाँधता और उसे हवा में उड़ा देता, एक काले रंग का बालक यह दृश्य देख रहा था, उसने गुब्बारे बेचने वाले अंकल से कहा— क्या अंकल ये काले रंग का गुब्बारा किसी भी रंग का क्यों न हो, रंग से उड़ान का कोई संबंध नहीं है। संबंध है तो गुब्बारे के अंदर भरे हुए तत्व वायु से है। कोई भी मनुष्य ऊँचाईयों को छू सकता है। अपनी स्वाभिमानी, कर्मशील वायु के बल पर अपनी इच्छित ऊँचाई तक ऊपर उठ सकता है।