पाचन तंत्र के अंग प्रमुख लिखते है इनको सब जानें कैसे कैसे काम करते हैं, ये सब इनको पहिचाने। सर्वप्रथम है दान्त जीभ, आमाशय छोटी आन्त कहो। पित्ताशय आमाशय प्लीहा, ये सब इनके नाम अहॉ। इन सबका ही महत्व बड़ा है, किन्तु दान्त सब से प्यारा प्रमाण रखा करते है सुनलों, जो भी खाते है हम खाना, सबसे पहले इसे चबाकर, खाने योग्य बनाते है। लालास्त्राव से मिलित इसीको जिहवा से त्वरित निगलते है। दान्तों के हैं निरालें विभिन्न प्रकार के होते हैं कुछ तो काटे सख्त वस्तु को, कुछ भोजन को पीसत है। दाढ़ इसे ही कहते हम है; दान्त सफेद चमकते है हौंठ इन्हें छुपा कर रखते , किन्तु हंसे तब खिलते है। बचपन में ये दूध दान्त है, फिर बत्तीसी आती है किसी किसी अक्ल जाड आ कष्ट धनेरा देती है। जीभ सहायता करती रहती, खाद्य वस्तु के खाने में इधर—उधर फिर कर ले जाती, भोजन को यह दाढ़ों में स्वाद यही पहिचान रही, यह खट्टा है या मीठा भोज्य वस्तु जब वन जाती द्रव्य निगलें इसको तब ही सीधा। दान्त गाल, अरू जीभ योग से भोजन होता हैं खाने योग्य इसे निगलने पर जाता यह आमाशय में सारा भोज्य। केवल दान्तो का काम चबाना ही ना है, भोजन खाद्य इनसे मुख सुन्दरता बनती, देखों दर्पण में कितनी सौम्य, मुक्ता के समदान्त चमकते, कितने सुन्दर लगते हैं आकर्षक मुख मण्डल बनता जब वे दान्त दमकते हैं। अत: सभी को इन दान्तों का रखना होता पूरा ध्यान अन्यथा पोपला मुख दिखलाते, चेहरे की बिगडेगी शान प्रात: सांय नित्य आपको दन्त स्वच्छता रखनी है। खाने के पश्चात् गरारे करके पानी से धोना है। शौचादिक से निवृन्त हुए तब दन्त सफाई करनी हैं ब्रुश से चाहें दन्त पेस्ट हो, दन्त स्वच्छता रखनी है। नीम—बबूल का हो चाहे दतुवन, दान्तों को स्वच्छ बनाता है। अधिक मसूढों पर रगड देना, क्षतियाँ इससे होती है। यदि मंजन भी करते है तो बारीक मंजन को प्रयुक्त करें मोटा मंजन दान्त मसूढे क्षति कारक है ध्यान रहें। जो वस्तु दान्त को क्षति पहुॅचाये उसे कभी न प्रयुक्त करें ज्यादा खट्टे मीठे पदार्थ को कभी न खावें दूर रहे। बर्फ और ठण्डे पदार्थ भी , दान्तों के क्षति कारक है, गर्म—गर्म खाने के पीछे, ठंडा पानी हानि का कर्ता है। इनसे दान्त हानियाँ होती सोच समझ कर पीना है। दान्तों को रखना है। सुन्दर अत: योग भी लिखते है।
(१) अगर दान्त में कीड़ा लगकर, दान्त खोखला बन जाता उसमे एक कपूर का टुकडा रखों दान्त दर्द है मिट जाता
(२) तुलसी के पत्ते पांच बार कर गोली इनकी बनवाले इनको दान्त दर्द पर रखे, तुरंत दर्द है मिट जाते।
(३) सोंठ पीसकर इसमें थोड़ा नमक मिला करके रखे जहॉ दान्तों में दर्द रहे, वह मले दर्द है मिट जावे।
(४) यदि पूरे जबडे में ही होवे दर्द भयंकर तब समझे कीकर की पत्तियों को लेकर क्वाथ बनाना ना भूले इसे छान कर करे। गरारे, धीरे—धीरे यह सब कर लों दर्द मिट जब दान्तों का तब हो प्रसन्न सब को कह दो।‘‘दन्त सुरक्षा रखता है यह सच समझो, सब ध्यान धरो बिना दांत के क्या है जग में, खाना पीना सब व्यर्थ अहो। यद्यपि कृत्रिम दन्तावलि लगाने से सुन्दरता आती, किन्तु स्वाभाविक दन्तावलिविन, यह बनावटी कहलाती।