अच्छे स्वास्थ्य की पहली कुंजी बेहतर पोषण को माना जाता है। हमारे आहार में भोजन के सभी आवश्यक तत्व प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट के साथ—साथ विटामिन और खनिज लक्षणों का होना भी निहायत जरूरी है। ये सभी वस्तुएं अधिकांशत: फलों में ही मिला करती हैं। फलों के माध्यम हम अपने शरीर के खनिज, लवणों तथा विटामिनों की दैनिक आवश्यकता की पूर्ति आसानी से कर सकते हैं। शरीर के लिए आवश्यक सभी विटामिन और खनिज लवण केले में प्राप्त होते हैं। सेब, अंगूर, मौसमी एवं अन्य मंहगे फलों की अपेक्षा सस्ता होते हुए भी केला पौष्टिकता की दृष्टि से उनसे किसी भी प्रकार से कम नहीं है। केला अनेक बीमारियों की औषधि भी है। दिल के मरीजों के लिए यह काफी फायदेमन्द है क्योंकि इसमें मैग्नीशियम काफी मात्रा में प्राप्त होता है। ‘कोलंबिया विश्वविद्यालय’ के प्रोफैसर डॉ. वास्टर ए.डी. ने अपनी बहुत महत्वपूर्ण खोज तथा विश्लेषण के बाद बताया कि केले में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लोहा तथा तांबा पर्याप्त मात्रा में रहते हैं। रक्त के निर्माण में मैग्नीशियम,लोहा तथा तांबा बहुत ही सक्रिय काम करते हैं। इनसे बना हुआ रक्त ऑक्सीजन को स्नायुओं तक पहुंचाने में बहुत सहायक होता है, इसलिए रक्त निर्माण एवं रक्तशोध के रूप में केले का बहुत महत्व है। अल्सर के रोगियों के लिए भी केला रामबाण औषधि है। ऐसे रोगियों को कच्चा केला लाभ पहुंचाता है। दही और चीनी के साथ पका हुआ केला खाने से पेट की जलन मिटती है। पेट सम्बन्धी सभी रोग इससे दूर हो जाते हैं। जीभ के छालों के लिए भी केला अत्यन्त लाभप्रद है। प्रतिदिन सुबह दही के साथ केला खाने से छाले मिटते हैं। सामान्य व्यक्ति भी प्रतिदिन केले का सेवन करे तो कई रोगों से बच सकता है। अन्य कारणों से बार—बार पेसाब आने लगता है । इसे ठीक करने के लिए एक पके केले के साथ दो ग्राम विदारीकन्द का चूर्ण तथा दो ग्राम शतावरी का चूर्ण खाकर ऊपर से दूध पी लेना अत्यन्त लाभदायक होता है। कच्चे केले को काटकर धूप में सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर देशी शक्कर के साथ पांच ग्राम की मात्रा में लेकर ऊपर से दही की लस्सी पी लेने से ‘सुजाक’ की बीमारी समाप्त हो जाती है। केला खूब पका तथा तुरन्त पेड़ से तोड़ा हुआ कभी नहीं खाना चाहिए। पेट भर केला खाना हानि पहुंचाता है। केले का अधिक उपयोग कफ कारक होता है। केले के साथ दही नहीं खाना चाहिए। अधपका केला भी नहीं खाना चाहिए कृत्रिम रूप से पकाये गये केले के सेवन से शरीर में गर्मी उत्पन्न होती है तथा हृदय एवं नाड़ी की गति तेज हो जाती है।