स्वयं भी जहर मत खाइए और अपने बच्चों की थाली में भी मत परोसिये
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने हमारे किसानों को अधिक उत्पादन के झूठे स्वप्न दिखाकर खतरनाक रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों के जाल में फंसा लिया है, और इस खेती से अपने अन्न का भोजन करने से लोग कैंसर, टी.बी., दमा, शुगर, ब्लड प्रेशर और नपुंसकता के शिकार हो रहे हैं। आज इंसान का खून पूरी तरह जहरीला बन गया है और इस वजह से औरतों और आदमियों में संतान उत्पादकता भी प्रभावित हो रही हैं। महाभारत की लड़ाई भी १८ दिनों में पूरी हो गयी थी लेकिन यह कीड़े मारने की लड़ाई पिछले ४० साल से चल रही है और कीड़े हैं कि मरने का नाम नहीं ले रहे और हर साल नए—नए बीमारी वाले कीड़े, वायरस बढ़ ही रहे हैं, आखिर क्यों ? इसका मतलब अधिकांश कृषि वैज्ञानिक किसानों के लिए नहीं अपितु इन दवा, खाद, यूरिया, बीज व कृषि यन्त्र बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को फायदा पहुँचाने के लिए कीड़ों और वायरस के नाम पर डरा कर किसानों और आम जनता को जहरीला खाना खिलाकर लूट रही है।
१. सर्वप्रथम प्रण करें की चाहे थोड़ा खाएं लेकिन शुद्ध ही खायेंगे। गौ अमृत (घी,दूध,गोबर, मूत्र, दही) से तैयार भोजन ही खायेंगे। इससे कई फायदे होंगे एक आप स्वस्थ रहोगे, हजारों रुपये की जहरीली दवाई का खर्च बचेगा, दूसरा गौ माता की रक्षा होगी और उनकी संख्या बढ़ेगी। कैसे? अधिकांश किसान या गौपालक तभी तक गौ माता को ५-६ साल तक अपने पास रखते हैं जब तक कि वो दूध दे रही है। उसके बाद वो उसको खुला छोड़ देते हैं और वो कसाई के हाथों मारी जाती है। लेकिन गोबर और गोमूत्र वो जिंदगी भर देती है और यदि हम लोग गोबर ओर गोमूत्र से बने उत्पाद और खाद का अधिक से अधिक इस्तेमाल करेंगे तो किसानों को गोबर और गोमूत्र का उचित मूल्य मिलेगा। जो पैसा यूरिया खरीदने में लगता है उसका १० प्रतिशत भी अगर गौ पालक को मिलने लग जाये तो गाय कटने से भी बच जाएगी।
२. यह बात तो वैज्ञानिक सिद्ध कर चुके हैं कि गाय के गोबर के कंडे जलाकर उसमें शुद्ध देशी गाय के घी से यज्ञ करने से वातावरण में मौजूद लाखों वायरस खत्म हो जाते हैं और घी भी कितना मात्र १ चम्मच। १ — २ किलो चर्बी वाले घी से हवन करने से न तो देवता खुश होंगे न ही वायरस खत्म होंगे उल्टा चर्बी वाले घी से देवता और भगवान क्रोधित हो जायेंगे क्योंकि जिस गाय में भगवान् श्री कृष्ण के प्राण बसते हों उसकी चर्बी से बना खाना भगवान् कैसे ग्रहण करेंगे ? भगवान् तो भाव के भूखे हैं ? १ किलो नकली घी से बढ़िया है मात्र चम्मच देशी गाय का घी ही प्रयोग करें। तब १० — २० आदमी दुकानदार से बार—बार गाय का घी ही मांगेंगे तो वो भी अपनी बिक्री के लिए गोपालक से घी की डिमांड करेंगे और जब डिमांड होगी तो गाय की संख्या भी बढ़ेगी। इस प्रकार गौ अमृत की डिमांड से गौर रक्षण, संवर्धन, पुण्य की प्राप्ति और स्वास्थ्य भी प्राप्त होगा साथ ही जहरीली दवाई बेचने वाली कंपनियां भी खुद ब खुद खत्म हो जायेंगी।
३. शुरूआत हमको अपने घरों से ही करनी होगी। खुद के घरों में बागवानी करनी होगी, पौधों में गो अमृत डालना होगा।
४. गौ अमृत (घी, दूध, दही, गोबर, मूत्र) ही प्रयोग करें चाहे थोड़ा ही मिले।
५. जिस घर में गौ माता को पाला जाता हो उस आदमी को प्रोत्साहन दें उसकी प्रशंसा करें, क्योंकि आज जब शहरों में गौ माता के दर्शन दुर्लभ है ऐसे में कोई तो है जो गौ सेवा कर रहा है।
६. अपने दोस्तों और सगे संबंधियों को भी गौ अमृत के लिए प्रोत्साहित करें इससे भी देश सेवा गौ सेवा तो होगी ही साथ में स्वास्थ्य भी मिलेगा।