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नई दिल्ली। मां के दूध के साथ ही नवजात शिशु को धूप की बी जरूरत होती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पीडियाट्रिक विभाग का शोध में खुलासा हुआ कि गर्भवती महिलाओं में विटामिन—डी की कमी का असर नवजात शिशुओं की हड्डियों पर पड़ रहा है। इसे दूर करने के लिए जन्म के पांच से दस दिन के बाद सर्दी में नियमित रूप से शिशु को १५ मिनिट की धुप जरूर मिलनी चाहिए। हालांकि गर्मियों में नवजात के लिए विटामिन—डी के अन्य विकल्प अपनाने की बात कही गई है। ढाई महीने के १२०० स्वस्थ नवजात शिशुओं और माताओं पर यह शोध किया गया। पाया गया कि विटामिन—डी कमा की चलते हाइपरपैराडिज्म की स्थिति देखी गई, जो बाद में चलकर हड्डियों के विकार, मॉल न्यूट्रीशन व त्वचा संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है। शोध में ४७ शिशुओं का सर्दियों में अध्ययन किया गया, जबकि ५१ बच्चों का चयन गर्मियों के अध्ययन के लिए किया गया। पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रमुखी शोधकर्ता डॉ. वंदना जैन के अनुसार जिन शिशुओं में विटामिन—डी कम था। उनकी माताआें में पहले से इसकी कमी थी। इसकी प्रमुख वजह अधिक मात्रा में सनस्क्रीन लोशन व धूप न सेकना भी पाया गया। दरअसल, अब भी जन्म के बाद माताएं बच्चों को कपड़े में लपेटकर घर के अंदर अधिक रखती हैं, जिसके बचपन में उनके शरीर का मिलने वाली अतिरिक्त अल्ट्रावायलेट किरणें हड्डियों को नहीं मिल पाती है। शोध के आंकडों को देखते हुए जन्म के १५ दिन के बाद ही शिशुओं को नियमित रूप से १५ मिनट की धूप जरूरी बताई गई। हालांकि गर्मियों में जन्म लेने वाले बच्चों की माताओं का खाने में अधिक मात्रा में विटामिन डी शामिल करने की सलाह दी गई है।
१२०० शिशुओं पर अध्ययन किया एम्स के पीडियॉट्रिक्स विभाग ने, ९२.६ प्रतिशत माताएं में पाई गई विटामिन डी की कमी , ८६.६ प्रतिशत नवजात विटामिन डी की कमी से ग्रस्त पाए गए, ९०.३ प्रतिशत शिशुओं में हड्डी और त्वचा संबंधी विकार पाए गए , ७३.१ प्रतिशत माताओं में यह स्थिति पाई गई।
थॉयरायड ग्रंथि में बनने वाला पैराथॉरमोन शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करता है। धूप और विटामिन जी की निंरतर कमी से एक से दो साल बाद बच्चों के विकास पर असर पड़ता है। उस समय लोग विटामिन डी के अन्य विकल्प को अपनाने पर अधिक ध्यान देते है।
सर्दी में सुबह १० बजे से ३ बजे की धूप है बेहतर, यदि नवजात का जन्म गर्मियों में हुआ है तब भी सर्दी की धूप जरूरी महिलाएं के लिए अधिक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना सही नही, इससे शरीर को मिलने वाली अल्ट्रावायलट किरणें नहीं मिलती, महिलाओं में विटामिन डी की कमी को किशोरावस्था से ही दूर की जाए, विटामिन डी के राष्ट्रीय कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं को शामिल किया जाए।
विश्वभर में पहले दिन मरने वाले बच्चों के २९ प्रतिशत बच्चे भारत के हैं शहरी परिवारों में प्रति १००० में २६ नवजात की मृत्यु होती है, जबकि ग्रामीण परिवारों में यह आंकडों प्रति १००० में ५६ है। वर्ष १९९० में देश में प्रति १००० में ११४ नवजातों की में प्रति १००० में ५२ नवजातों की मृत्यु देखी गई। हालांकि २०१५ तक नवजात शिशु मृत्यु दर को चार प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।