आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामी द्वारा ई. श. ५ मेंं रचित यह ग्रन्थ है । इसमें ५१ श्लोक हैं जो हमें आध्यात्मिकता का उपदेश देते हैं। इस पर पण्डित आशाधर ने ई़ ११७३ में संस्कृत टीका की है ।