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आयुर्वेद में यह कहा जाता है कि अगर आप फुर्तीले बने रहना चाहते हैं तो चने का सेवन नियमित रूप से करना शुरू कर दीजिये। बस एक मुट्ठी चना से आप स्वस्थ और ताकतवर बने रह सकते हैं। चना बहुत पौष्टिक होता है । चना चाहे भूना हुआ हो या अंकुरित किया हुआ, इसे खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, नमी, चिकनाई, रेशे, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं। चना आपको सुंदर और तेज दिमाग वाला बनता है। खून की कमी, कब्ज, डायबिटिज और पीलिया जैसे रोगों में चने का प्रयोग लाभकारी होता है। बालों और त्वचा की सौंदर्य वृद्धि के लिए चने के आटे का प्रयोग हितकारी होता है। चने में २७ और २८ फीसदी फॉस्फोरस और आयरन होता है। यह न केवल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करते हैं बल्कि हीमोग्लोबीन बढ़ा कर किडनियों को भी नमक की अधिकता से साफ करते हैं। एक कटोरा चना खाने से २८ ग्राम रेशा आपके शरीर में जाता है, जिससे पेट संबन्धी सारी शिकायते दूर रहती हैं साथ ही कब्ज हो या फिर पेट का कैसर, दोनों ही नहीं होते। चने में अंकुरण के ७ दिन बाद तक मिनरल्स और विटामिन्स भरपूर मात्रा में रहते हैं। इन्हें ७ दिनों के अन्दर ही खा लेना अच्छा है। अंकुरित दाने सलाद के रूप में कच्चे या उबाले हुए दोनों तरीके से खाये जा सकते हैं। या आप इनसे अपनी मन पसन्द कोई डिश भी बनाकर खा सकते हैं। चने को गरीबों का बादाम कहा जाता है क्योंकि ये सस्ता होता है लेकिन इसी सस्ती चीज में बड़ी से बड़ी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। चने से बालों का गिरना भी रूकता है क्योंकि इसमें मौजूद प्रोटीन बालों को मजबूती प्रदान करते हैं । उबले चने को सिर्फ नमक के साथ मिलाकर खाने से आपका वजन भी कम हो सकता है। वैसे भी कहा गया है कि जो खाये चना वो रहे बना।