हाथों में झनझनाहट या सूनापन कहीं कार्पल टनल सिंड्रोम तो नहीं
हाथ और कलाई का दर्द एक आम बीमारी बनता जा रहा है। मेडिकल की भाषा में इसे कार्पल टनल सिंड्रोम कहते हैं । इस रोग में जब अन्य कोशिकाएं जैसे कि लिगामेंट्स और टेंडन सूज या फूल जाते हैं तो इसका प्रभाव मध्य कोशिकाओं पर पड़ता है। इस दबाव से हाथ घायल या सुन्न महसूस करता है। कार्पल टनल हड्डियों और कलाई की अन्य कोशिकाओं द्वारा बनाई गई एक संकरी नली होती है। कम्प्यूटर या लैपटॉप पर लंबे समय तक काम करने से कई बार हाथों में सूनापन और कलाई का दर्द जैसी समस्याएं देखी जा रही हैं। मोqडकल की भाषा में इसे कार्पल टनल कहते हैं। इस रोग के लक्षणों को पहचानने के बाद बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। आजकल लोगों में हाथ और कलाई का दर्द आम बीमारी बनता जा रहा है। मेडिकल की भाषा में इसे कार्पल टनल िंसडोम कहते हैं। इस रोग में जब अन्य कोशिकाएं जैसे कि लिगामेंट्स और टेंडन सूज या पूâल जाते हैं तो इसका प्रभाव मध्य कोशिकाओं पर पड़ता है। इस दबाव से हाथ घायल या सुन्न महसूस करता है। कार्पल टनल हड्डियों और कलाई की अन्य कोशिकाओं द्वारा बनाई गई एक संकरी नली होती है। यह नली हमारी मध्य नाड़ी की सुरक्षा करती है। मध्य नाड़ी हमारे अंगूठे, मध्य और रिंग अंगुलियों से जुड़ी होती है। साधारणतया कार्पल टनल सिंड्रोम ज्यादा गंभीर बीमारी नहीं है। इलाज से यह रोग दूर हो जाता है।
ये हैं कारण
एक ही हाथ से लगातार काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम की परेशानी हो सकती है। यह सामान्यतया उन लोगों में अधिकतर पाया जाता है जिनके पेशे में कलाई को मोड़ने के साथ पिंचिंग या ग्रीपिंग करने की जरूरत होती है। पुरूषों की तुलना में औरतों को इसका तिगुना खतरा रहता है। औरतों में यह सामान्यतौर पर गर्भावस्था के दौरान, मेनोपोज और वजन बढ़ने के कारण भी होता है। इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो कम्प्यूटर, मजदूर, संगीतकार, मैकेनिक, बागवानी करने वाले, सुई का इस्तेमाल करते हुए कई घंटों तक काम करने , गोल्फ खेलने और नाव चलाने का शौक रखने वाले भी कार्पल टनल सिंड्रोम का शिकार हो सकते हैं । यह सिंड्रोम कुछ बीमारियों से भी संबंधित होता है जैसे मधुमेह, आर्थराइटिस या थायरॉयड आदि।
रोगी की पहचान कैसे करें ?
१. यह रोग सबसे पहले इंडेक्स (तर्जनी) या मिडिल फिंगर (मध्यमा) को प्रभावित करता है। जिसमें इन अंगुलियों में जलन होने लगती है।
२. धीरे—धीरे यह समस्या दर्द में बदल जाती है और फिर यह दर्द अंगुलियों से कलाई और कंधों तक पहुंच जाता है।
३. दिन की तुलना में रात के समय यह समस्या ज्यादा परेशान करती है। ४. कोई भी वस्तु उठाते समय अधिक परेशानी होना।
५. अंगूठे में कमजोरी महसूस करना।
ये हैं समाधान
यदि यह रोग किसी बिमारी की वजह से है तो डॉक्टर सबसे पहले उस समस्या का इलाज करते हैं। फिर वह कलाई को आराम देने के लिए हाथों के सही मूवमेंट की सलाह देते हैं। कलाई में स्प्लिंटबांधने को भी कहा जा सकता है। कलाई पर बर्फ रखकर सेंक कर सकते है। डॉक्टर द्वारा बताई गई एक्सरसाइज में भी लाभ होता है।
राहत के लिए खास टिप्स
१. एक हाथ के बजाय दोनों हाथों को बराबर काम में लें।
२. ज्यादा देर तक अपनी कलाई को नीचे झुकाकर न रखें।
३. हाथों को दबाकर न सोएं । हाथ की नसों पर दबाव पड़ने से समस्या हो सकती है।
४. हाथ, कलाई और अंगुलियों का व्यायाम करना बहुत जरूरी होता है। बिना व्यायाम के आपकी कलाई कठोर हो सकती है।
५. समय—समय पर हाथों की मसाज भी जरूर करें।
६. कुछ मसालों में इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है। सर्जरी के कुछ हफ्तों या महीनों बाद वापस कलाई व हाथ का सामान्य रूप से इस्तेमाल कर सकते हैं।
कुछ जांचें जरूरी
इसकी जांच प्रक्रिया में सबसे पहले हाथ को सी मशीन में डाला जाता है जिसमें कुछ दर्द या बिजली के झटके जैसी झनझनाहट महसूस होती है। इसके अलावा नाड़ी की जांच या इलेक्ट्रोमायोग्राफी जांच करवाई जाती है यह देखने के लिए कि आपके हाथों और बाजुओं की नाड़ी व मांसपेशियां किसी प्रकार के कार्पल टनल सिंड्रोम के प्रभावों को दर्शा रही है या नहीं।