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मानव अंतरमन को सबसे पहले किसी ने झंकृत किया होगा तो अवश्य ही वह संगीत रहा होगा। कहा जाता है ब्रह्मांड की उत्पत्ति संगीत के साथ हुई। सचमुच संगीत के बिना सरस जीवन की कल्पना भी व्यर्थ है। संगीत एक तरफ जहां हमें मानसिक सुकून देती है, वहीं शारीरिक स्वास्थ्य बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग जहां अनेक मानसिक परेशानियों, तनाव व अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, ऐसे में संगीत इन सबसे निजात दिलाने में अहं भूमिका निभाता है। इन्हीं कारणों से इन दिनों संगीत चिकित्सा या म्यूजिक थेरेपी का चलन बढ़ रहा है। देश विदेश के बहुत सारे अस्पतालों में भी म्यूजिक थेरेपी की शुरुआत हुई है। म्यूजिक थेरेपी के माध्यम से व्यक्ति के स्वभाव, उसकी समस्या एवं परिस्थितियों के अनुसार संगीत सुनाकर उसका इलाज किया जाता है। म्यूजिक थेरेपी से रक्तचाप सामान्य किया जा सकता है। तनाव व चिंता दूर की जा सकती है। घबराहट, शारीरिक थकान, चिड़चिड़ाहट, सिर दर्द, अनिद्रा आदि का इलाज भी म्यूजिक थेरेपी से संभव है। हृदय रोग, अस्थमा आदि जटिल रोगों में यह थेरेपी कारगर सिद्ध हो रही है।संगीत चिकित्सा मेटाबालिज्म को तेज करती है जिससे मांसपेशियों की ऊर्जा बढ़ती है। विभिन्न वैज्ञानिक शोधों से भी यह निष्कर्ष सामने आया है कि संगीत के माध्यम से अनेक बीमारियों का समुचित निदान संभव है। संगीत चिकित्सा महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद है। महिलाओं को जहां घर एवं बाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, ऐसे में यह थेरेपी बहुत मददगार साबित होती है। इन दिनों किचन में भी म्यूजिक सिस्टम लगाने का चलन बढ़ रहा है। भोजन बनाते समय संगीत सुनना भोजन बनाने वाले के साथ ही भोजन के लिए श्रेष्कर है।
यह बोरियत और तनाव से भी बचाता है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों में संगीत का हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर अनेक अनुसंधान चल रहे हैं, इनके परिणाम अत्यंत सकारात्मक आ रहे हैं। पश्चिमी देशों में म्यूजिक थेरेपी का प्रयोग आटिज्म पर्विसन, अल्जाइमर आदि बीमारियों के निदान के लिए किया जा रहा है। यह थेरेपी सभी उम्र के रोगियों में प्रभावी है। संगीत में तन—मन दोनों को प्रभावित करने की अपार क्षमता है। तो क्यों न हम स्वस्थ तन और मन के लिए डूब जाएं संगीत की सुरीली दुनियां में ।