पूरे १०० साल स्वस्थ रहकर जीने का फार्मूला विज्ञान नहीं, अध्यात्म के पास है। आध्यात्मिक जीवन शैली अपनाने वाले लोग आज भी शतायु होते हैं। यह तथ्य वैज्ञानिक शोधों से भी अब साबित हो गया है। अमेरिका में हुए एक ताजे रिसर्च के अनुसार विश्व स्तर पर इन दिनों १०० साल से अधिक जीने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसा दवाइयों, सुविधाओं आदि के कारण नहीं बल्कि सदाचारी सादगीपूर्ण जीवन जीने के कारण हो रहा है। जी हां, नेशनल सेंटेरियन अवेयरनेस प्रोजेक्ट के तहत यू एस ए में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक गहन अध्ययन से साबित हुआ है कि बिगत २० वर्षों में वहां शतायु लोगों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है जो अब ७२ हजार है। अगले १० वर्षों यानी २०२० तक यह संख्या ७ गुना अर्थात् ४.९५ लाख हो जायेगी। यह लोग अध्यात्मिक जिंदगी जीने वाले लोग हैं। ध्यान और करूणा से भरा प्रार्थनापूर्ण जीवन इस उपलब्धि का द्वार बनता है। अस्तित्व के प्रति शिकायती व तनावपूर्ण जीवन हमारा दुश्मन बनता है। शोध में यह भी पाया गया कि ईश्वर का प्रसाद समझकर खुशनुमा माहौल में रूखा—सूखा भोजन भी किया जाए तो वह उत्तम पौष्टिक व्यंजनों से बेहतर परिणाम देता है। अध्ययन रिपोर्ट के समीक्षक डा. रोबिन ब्राउन का कहना है कि साधनों के बीच सादा जीवन—उच्च विचार की शैली अहम होती है। जो नहीं मिला उसके लिए कर्तव्य भावना से संघर्ष और जो कुछ मिला है उसके लिए ईश्वर को सतत् धन्यवाद देना उम्र को बढ़ाने व स्वस्थ रखने वाला उत्क्रष्टतम रसायन है।