तर्ज- मैं तो आरती उतारूँ रे ……………।
मैं तो आरती उतारूँ रे, चन्दनामती माता की।
जय जय माँ चन्दनामती जय जय माँ, जय जय माँ चन्दनामती जय जय माँ।
।टेक.।।
धन्य वे मोहिनी माता, जिनने जन्म दिया-२ खुद बनी रत्नमति मात वे,
जीवन धन्य किया-२ छोटेलाल पिता धन्य, नगरी भी है प्रशन्न,
जन्म से जो पावन हुई, हो माता तेरे जन्म से जो पावन हुई।।
मैं तो आरती ……… ।।१।।
ज्ञानमती माँ से गजपुर में, दीक्षा है पाई-२ माधुरी से बनीं चन्दना,
ज्ञान सुरभि फैलाई-२ शिवपथ की ओर चलीं, प्रभु से नाता जोड़ चलीं,
नूतन दिशा मिल गई, हो माता जग को नूतन दिशा मिल गई।
मैं तो आरती ……… ।।२।।
तेरी कृतियों ने इस जग को, ज्ञानामृत जो दिया-२ माँ जिनागम सरल रूप में,
तव लेखनी में मिला-२ श्रुत में ही रमण किया, जहाँ-जहाँ भ्रमण किया,
दिग्भ्रमित को मारग मिला, हो माता दिग्भ्रमित को सुमारग मिला।
मैं तो आरती ……… ।।३।।
माता चारित्र चक्री की बगिया महकाई-२ आर्ष मार्ग की तुम रक्षिका,
रतनत्रय की धारी-२ हम सब की आदर्श, दयासुन्धिु ममतामूर्ति,
वात्सल्य रत्नाकर, हो माता तुम हो वात्सल्य रत्नाकर।
मैं तो आरती ……… ।।४।।
ब्राह्मी और चन्दना सम हैं माँ ज्ञानमती चन्दनामती-२ कृपादृष्टी मिले जो तेरी,
हो मम शुद्ध मती-२ ‘इन्दू’ गुणगान करे, मन में ये आश करे,
भव में न हो आवना हो माता फेर भव में न हो आवना।
मैं तो आरती ……… ।।५।।