लेखिका – ब्र कु॰ : इन्दु जैन (संघस्थ)
अभयमती माताजी की हम करें आरती आज. रत्नमयी दीपक ले आए शरणा तेरी आज ।।
हो माता हम सब उतारें तेरी आरती – 2 ।। टेक. ।।
पितु श्री छोटेलाल मोहिनी माँ से जन्म लिया है.
ज्ञानमती माता सम भगिनी. का वात्सल्य मिला है । माता……………..।।1।।
गणिनीप्रमुख ज्ञानमती माताजी के पाकर दर्शन मिली प्रेरणा
त्याग मार्ग की ओर बढ़ाया जीवन । माता……………..।।2।।
उविस सौ उन्हत्तर में श्री महावीर जी तीरथ.
धर्मसिंधु से बनीं आर्यिका. फैलाई जिन कीरत । माता……………..।।4।।
कुछ दिन गुरा संग रहीं. पुन: चल दी बुन्देलखण्ड की सार्थक
कर निज नाम. दिखाया नई दिशा फिर सबको । माता………………….।।5।।
ग्रंथ रचयित्री. चारित्र में दृढ. हे चारित्र श्रमणि माँ.
मुक्ति सुपथ की आश लेकर, ‘इन्दु’ नमे तुम चरणा । । माता……………..।।6।।