दवाओं की दुकान में डॉक्टर के द्वारा लिखी गई दवा उपलब्ध न होने पर दुकानदार उसके स्थान पर वैकल्पिक दवा कह कर उसे दे देता है। ऐसी विकल्पी दवाएं सस्ती जरूर होती हैं किंतु उसकी गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं होती है। ऐसी दवाओं से लाभ के बजाय स्वास्थ्य को नुकसान ज्यादा होता है। कभी—कभी सही दवा न मिलने पर बीमारी खतरनाक रूप लेती है । बाजारी खतरनाक रूप ले लेती है । बाजार में सभी दवाओं के विकल्प में अनेक हल्की दवाएं मिलती जुलती मिल जाती हैं। एथिकल एवं जेनेरिक दवा क्या है ? बाजार में मौजूद दवा दो रूप एथिकल या जनेरिक होती है । एथिकल दवा ब्रांडेड रूप में होती है।इसमें गुणवत्ता को ध्यान में रखा जाता है। यह जेनेरिक दवाओं की तुलना में महंगी मिलती है किंतु जेनेरिक दवाएं गैर ब्रांडेड नहीं होती। इसमें दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता है। एक तरह से उसकी गुणवत्ता की गारंटी नहीं होती है। जेनेरिक दवा सस्ती अवश्य मिलती है। विकल्पी दवाओं को दुकानदार के कहने से मत लीजिए । यदि डॉक्टर अनुमति दे, तभी जैनेरिक दवा लें। वैकल्पिक दवाओं से लाभ की उपेक्षा उसके दुष्प्रभाव से नुकसान भी हो सकता है। समय पर सही दवा नहीं मिलने की स्थिति में बीमारी बढ़ जाती है जिससे रोगी को स्वस्थ होने में समय लग जाता है। वैकल्पिक दवाओं की भरमार जो दवा अधिक बिकती है एवं अधिक महंगी होती है, उसके स्थान पर वैकल्पिक एवं जेनेरिक दवा सस्ते में जरूर मिल जाती हैं। दर्दनाशक एवं बेक्टीरिया रोधी दवाओं के विकल्प में अनेक दवाएं सस्ते दर पर मिलती हैं। बाजार में दर्दनाशक एंटीबायोटिक दवाओं की खूब मांग रहती है। इसमें से एथिकल एंटीबायोटिक दवाएं महंगी होती हैं। इसलिए इन दोनों के स्थान पर अनेक सबस्टीट्यूट मेडिसिन मिल जाती है। लगभग सभी दवाओं के विकल्प में हल्की जेनेरिक दवा मिल जाती हैं। अपूर्ण गुणवत्ता के कारण वैकल्पिक दवाओं से लाभ देरी से मिलता है। इससे मरीज को नुकसान ज्यादा होता है। कभी—कभी बीमारी बढ़ जाने का खतरा बढ़ जाता है अतएव वैकल्पिक दवाओं से बचें।