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कौन सा देश और उसका कौन सा शहर तमीजदार है, इस पर खूब बहस हो चुकी है। लेकिन हम जानते हैं कि तहजीब का लोगों के रहन सहन से लेकर उनकी संस्कृति तक से सीधा संबंध होता है। जहां भारत के द्वार पर आए किसी भी व्यक्ति को वहीं से रवाना कर देना तमीज के खिलाफ माना जाता है, वहीं कई पाश्चात्य संस्कृतियों में इसे जरा भी बुरा नहीं माना जाता। भारत में बच्चों तक को मेहमाननवाजों के गुण सिखाए गए हैं ताकि वे महमानों का स्वागत कर सके, वहीं विदेशों में आगंतुकों को यह अहसास दिला देने के लिये कि किसी प्रकार की मेहमाननवाजी की उम्मीद न रखें, गृहिणी घर पर नहीं है, इस आश्य की तख्ती दरवाजे पर लगाने को एक सामाजिक व्यवहार की मान्यता प्राप्त है। इन दोनों व्यवहारों में कोई तुलना संभव नहीं है क्योंकि यह अपने अपने परिवेश से जुड़ी और उपजी बातें हैं। तमीज तहजीव को लेकर बहस जारी है जबकि कई सभ्यताएं श्रेष्ठता की बहस को ही अशिष्ट करार देती है । बजाए तम ऐसे आप वैसे के आक्षेप लगाने के, क्यों न एक दूजे से अच्छे मैनर्स, तहजीब का पाठ सीखें। सीखें क्योंकि सीखने, समझने, विश्वास करने से ही एक दूजे में आस्था बढ़ेगी और एक दूजे की स्वीकार्यता भी। ग्लोबल कहलाने के लिये इससे अच्छा जरिया नहीं हो सकता। दुनिया के हर देश में कोई न कोई ऐसी सामाजिक रीत होती होगी, जिसका अनुकरण करके हम खुद को बतौर इंसान बेहतर बना सकते हैं। इसी आश्य से दुनिया के एक हिस्से का छोटा सा चक्कर लगाएँ और अमेरिका, ब्रिटेन व जापान से कुछ सीखने का प्रयास करें।
जापान में तोहफे लेना देना महत्वपूर्ण माना जाता है। किसी नवविवाहित जोड़े के घर सारे पडौसी जाते हैं और उन्हें घरेलू सामान तोहफे में देते हैं। इसमें खाने पीने की चीजें भी शामिल होती हैं जैसे भिन्न प्रकार के नूडलस, हांलाकि, फूल, चॉकलेट्स और कैडी, चाय, कॉफी सामान्य उपहारों में रखे जाते हैं लेकिन नवविवाहितों के लिये घरेलू सामान तुरंत उपयोग के लिये काफी मददगार साबित होता है। इसके अलावा तोहफों को सलीके से बंधा और पैक किया ही पसंद करते हैं। एक और बात , चार और छह की गिनती में कोई चीज बुरी मानी जाती है। जापानी में चार का मतलब मौत होता है।
तोहफा मिलते ही खोल लेना और उसकी तारिफ करना अमेरिकियों की तहजीब है। ब्रिटेन में मेजबान के लिये कोई तोहफा ले जाना अच्छा माना जाता है। जैसे फूल या चॉकलेट्स खासकर जब आप भोजन पर आमंत्रित हों। किसी के घर से खाना खाकर लौटने के बाद एक थैंक्यू नोट या फोन करना शिष्टाचार माना जाता है। मेजबान मेहमान के जाने के बाद तोहफे खोलते हैं और देने वाले को एक धन्यवाद पत्र भेजते हैं।
जापान में बात करते समय चुप हो जाने को सोचने, उचित जवाब ढूंढने या मंथन करने की स्थिति माना जाता है। इसे आगे बढ़कर भंग करना या पूछ लेना कि चुप क्यों हो गए, अच्छा नहीं माना जाता है। किसी की चुप्पी का सम्मान करने का यह अच्छा सलीका है। इसी तरह ब्रिटेन में निजी जिन्दगी से जुड़े सवालों का पूछा जाना असभ्यता की निशानी माना जाता है। आपका वजन कितना है , आपको कितना वेतन मिलता है, शादी क्यों नहीं की, बच्चे नहीं है ? जैसे सवाल अशिष्ट होने का संकेत देते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन में चर्चा के दौरान नकारात्मक टिप्पणी को किया जाना तहजीब से बाहर समझा जाता है। मिसाल के तौर पर फुटबॉल तो बेकार खेल है, शहर से बाहर जाकर मूर्ख बसते हैं आदि । भद्रजन अपने पूर्वाग्रह को वार्तालाप के बीच में नहीं आने देते । वे सादे शब्दों में जी नहीं आने देते। मैं आपसे सहमत नहीं हूँ कहकर विषय बदल देते हैं। आप गलत कह रहे हैं या ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, कहकर बहस को बढ़ावा देना अभ्रद माना जाता है। चर्चा को यथासंभव सकारात्मक रखने की कोशिश की जाती है। बार बार यह कहना, क्या कहा मैंने सुना नहीं भी अच्छा नहीं माना जाता। एक बार तो ठीक है, पर बार—बार इसका दोहराव बताता है कि जिससे बात की जा रही है , उसका ध्यान कहीं और है।
ब्रिटेन में भोजन के समय के शिष्टाचार की अपनी परिभाषा है। रात के खाने के लिये अच्छे साफ सुथरे कपड़ों में तैयार होकर टेबुल पर आना अच्छी तहजीब है, भले ही कोई मेहमान नहीं आ रहा हो। इससे जाहिर होता है कि आप भोजन लेकर उत्सुक है और परिजनों को अहमियत देते हैं। इसी तरह जरूरी है कि खाने की मेज साफ व सलीके से सजी है। बच्चों को भी टेबल मैनर्स का ध्यान रखने की सीख दी जाती है। इसका फायदा यह होता है। कि जब मेहमान आते हैं, तो कोई अतिरिक्त सावधानी की जरूरत नहीं पड़ती है। चूंकि शिष्टाचार सामान्य व्यवहार का हिस्सा बन चुका होता है।
ब्रिटेन में वक्त की पाबंदी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। यदि दो लोगों के बीच ३ बजे मिलना तय हुआ है, तो आप ३.१ परचाहे, तो जांच लें, वे साथ होंगे। किसी कारणवश यदि कोई तय समय पर नहीं पहुंच रहा हो, तो वह इसकी सूचना जरूर देगा। ब्रिटेन में समय को लेकर जो सामाजिक नियम प्रचलित है वे इस तरह है। औपचारिक भोज या किसी प्रोफेशनल (डॉक्टर, प्रोफेसर आदि) से मिलने के लिये समय तय हुआ है, तो एकदम ठीक समय पर पहुंचना चाहिए। भोज का समय ७ बजे का समय दिया, तो ७.१५ तक जा सकते हैं, पर ७ से ८ का समय हो तो ७.५० तक जाना सही होगा। सार्वजनिक या सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे नाटक कंसर्ट, मूवी, खेल प्रतियोगिता, धार्मिक कार्यक्रम या विवाह विधि, इन सभी जगहों पर आपसे समय से कुछ मिनट पहले उपस्थित होने की अपेक्षा की जाएगी।