खाद्य सामग्रियों में मिलावट अर्से से हो रही है। सेहत पर इसका असर पड़ता है। सरकार ने इन मिलावट को रोकने के भरसक उपाय किए हैं। लेकिन वे पर्याप्त साबित नहीं हो रहे हैं। हम लोग स्वत: भी कुछ जांच कर इन मिलावटी खाद्य पदार्थों के दुश्परिणाम से बच सकते हैं। जानते हैं कैसे जांच सकते हैं इन पदार्थों को…. दूध में मिलावट:— पानी , युरिया, सर्फ, स्टार्च आदि, जांच कि लिए लैक्टोमीटर इस्तेमाल किया जा सकता है। ये बाजार में २०—३० रूपये में आसानी से मिल जायेगा। अगर लैक्टोमीटर ३० यूनिट से ज्यादा डूब जाता है तो इसका मतलब दूध में पानी या पाउडर मिला हुआ है। यूरिया का पता लगाने के लिए टेस्ट टयूब में ५ मिली दूध लें और उसमें ब्रौमोथाइमोल ब्लू सल्यूशन डालें। १० मिनट बाद अगर उसमें नीला रंग दिखाई देता है तो इसका मतलब यूरिया मिला हुआ है। इसके अलावा दूध में आयोडिन सल्यूशन की कुछ बूंदे डालें। अगर दूध का रंग नीला हो जाता है तो समझ जाइये उसमें मिलावट है। दालचीनी में मिलावट:— अमरूद की छाल की, जांच के लिये हाथ पर रगड़ कर देखें नकली हुई तो कोई रंग नहीं आयेगा। आईसक्रीम में मिलावट —वाशिंग पाउडर और सैकरीन, जांच के लिये आइसक्रीम में थोड़ा सा नींबू का रस मिलाये। वॉशिंग पाउडर होने की स्थिति में इसमें झाग बनने लगेगा । अगर सैकरीन की मिलावट है, तो आइसक्रीम का स्वाद शुरु में बहुत मीठा लगता है लेकिन बाद में काफी कड़वा महसूस होता है। चीनी में मिलावट— चॉक पाउडर , जांच के लिए एक गिलास पानी में १० ग्राम चीनी मिलाये। उसे दो मिनट तक बिना हिलाए रख दें।
अगर तली में कुछ सफेद पदार्थ आता है तो वह चॉक पाउडर है। सिल्वर फॉयल में मिलावट— एल्यूमीनियम फॉयल, जांच के लिये जलाने पर सिल्वर पूरी तरह जल जाती है सिर्फ थोड़ी सी राख बचती है। अगर उसमें एल्यूमीनियम फॉयल की मिलावट है तो वह ग्रे कलर की राख छोड़ती है। कॉफी में मिलावट— चिकोरी, जांच के लिये एक गिलास पानी लें। उसके ऊपर कॉफी के सैंपल को थोड़ा सा छिड़के। शुद्ध कॉफी पानी के ऊपर तैरती रहेगी, लेकिन चिकोरी कुछ ही सैकंड में पानी में डूबने लगेगी। जब आप सतह को थोड़ा तिरछा करेंगे, तो वह कैरेमल की वजह से रंग भी छोड़ेगी। चाय में मिलावट —रंग वाली पत्तियां, यूज की गई चाय, जांच के लिये रंग वाली चाय की पत्ती को अगर आप सफेद कागज पर रगड़ेंगे तो यह रंग छोड़ेगी । वहीं गीले फ्लिटर पेपर पर मिलावटी चाय पत्ती छिड़कने पर वह गुलाबी लाल रंग का दाग छोड़ेगी। लाल मिर्च में मिलावट— ईट का बुरादा, जांच के लिये २ ग्राम लाल मिर्च टेस्ट ट्यूब में डालें और उसमें ५ मिली एसीटोन मिलाये अगर तुरंत लाल रंग दिखाई दे तो इसका मतलब इसमें र्इंट का बुरादा मिला गया है। पानी में मिलाने पर ईट का बुरादा नीचे बैठ जायेगा। हल्दी में मिलावट— मटैलिक यलो रंग, जांच के लिए पानी में मिलाई गई हल्दी का थोड़ा सा हिस्सा, अलग कर लें। उसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें मिलायें। अगर तुरंत उसका रंग जाए तो इसका मतलब रंग मिलाया गया है। काली मिर्च में मिलावट— पपीते के बीज, जांच के लिए काली मिर्च में कुछ दाने अल्कोहल में मिलाये। काली मिर्च नीचे बैठ जाएगी पपीते के बीज और हल्की काली मिर्च उसके ऊपर आ जायेगी। हींग में मिलावट— सोप स्टोन और मिट्टी , जांच के लिए पानी में मिलायें और थोड़ी देर के लिये छोड़ दें। सोप और मिट्टी नीचे तल में बैठ जाएगी। धनिये में मिलावट— सूखा गोबर, जांच के लिये, धनिया पाउडर को पानी में मिलाएं, गोबर पानी में तैरने लगेगा साथ ही बदबू भी आएगी। नमक में मिलावट— वाइट पाउडर स्टोन या शैलक्री, जांच के लिये पानी में एक चम्मच नमक मिलाये। नमक से पानी का रंग सफेद नहीं होता। मिलावट होने पर पानी का रंग सफेद होगा।
बाकी मिलावट नीचे सतह पर रह जायेगी। घी में मिलावट— वनस्पति घी या मार्जरीन, आलू शक्करकंदी और दूसरे वसा, जांच के लिए एक चम्मच पिंघला घी लेकर उसमें उतनी ही मात्रा में हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। इसमें एक चुटकी चीनी भी मिला लें। एक मिनट तक इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलायें और पांच मिनट के लिए रख दें। अगर निचली परत पर गंदा सा क्रीम कलर आता है तो घी में वनस्पति या मार्जरीन मिला है। आलू व शकरकंदी की जांच करने के लिये कुछ बुंदे आयोडीन की डालें। जब भूरा आयोडीन अपना रंग बदलकर नीला हो जाए तो यह मिलावट का संकेत है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड की जगह जांच के लिए घर में इस्तेमाल होने वाले एसिड का भी प्रयोग कर सकते हैं। एसिटोन की जगह नेल पॉलिश रिमूवर का इस्तेमाल किया जा सकता है।