* लक्ष्मी पुण्याई से मिलती है। मेहनत से मिलती तो मजदूरों के पास क्यों नहीं ? बुद्धि से मिलती तो पण्डितों के पास क्यों नहीं ?
* इह लोक और परलोक सुखमय रहे तो पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य के काम जरूर कीजिए।
* बच्चों के झगड़ों में बड़े को और सास—बहू के झगड़ों में बाप—बेटे को कभी नहीं पड़ना चाहिए।
* मां—बाप होने के नाते अपने बच्चों को खूब पढ़ाना—लिखाना और पढ़ा लिखा कर उन्हें खूब लायक बनाना , मगर इतना लायक भी मत बना देना कि कल तुम्हें ही नालायक समझने लगे।
* ऊपर से नीचे सब ओर मैचिंग चल रही है पर वस्त्रों की मैचिंग के साथ स्वभाव की मैचिंग भी जरूरी है। अपना स्वभाव ऐसा बनाएं कि वह हर जगह मैच कर जाए।
* कन्या मंगल है। कन्हैया को किसी भी शास्त्र में मंगल नहीं कहा। आप गृहस्थ हैं तो आप पर एक लड़की तो होनी ही चाहिए।
* कोई भी धर्म बुरा नहीं है , पर हर धर्म में कुछ बुरे लोग जरूर हैं। जो स्वार्थों के खातिर धर्म की आड़ में अपने गोरख धंधे चलाते हैं।
* धर्म मलहम नहीं बल्कि टॉनिक है। इसे बाहर मलना नहीं, पी जाना है। हम धर्म के लिए लड़ते—मरते हैं पर उसे जीते नहीं।
* धर्म पगड़ी नहीं जिसे दुकान में पहन लिया और घर में उतार दिया। धर्म तो चमड़ी है जिसे उतारा नहीं जा सकता।
* प्रेम से बढ़कर कोई स्वर्ग नहीं और नफरत से बढ़कर कोई नर्क नहीं।
* परिवार में आपस में संवाद न हो तो कमरों में रहने वाले इंसानों और कब्र में रहने वाले मुर्दों में क्या फर्क हुआ ?
* जिस घर में और सब कुछ हो मगर प्रेम न हो तो वह घर घर नहीं श्मशान है।
* मुनि और ग्रहस्थ में इतना ही अंतर है कि ग्रहस्थ का मन नहीं टिकता और मुनिश्री के पैर नहीं टिकते।
* मुनि के जाने से सब सूना—सूना हो जाता है और मुनि के आने से सब सोना सोना हो जाता है।
* भाई लोग गुस्सा करना कम कर दें और महिलाएं जिद करना कम कर दें तो परिवार स्वर्ग बन जाए।
* बाहर की आंखे बंद हो , इसके पहले भीतर की आंखें खुल जाना चाहिए। वरना तुम्हारा नाम अंधों की सूची में लिखा जाएगा।
* अब संत मुनियों को अपने प्रवचन लोकसभा — विधानसभा में करने चाहिए। क्योंकि खतरनाक लोग वहीं मौजूद हैं।
* संत नोट वोट और सपोर्ट मांगने नहीं बल्कि तुमसे तुम्हारी खोट मांगने आता है।
* बूढ़ा आदमी बूढ़ापे से नहीं बल्कि जरूरत से ज्यादा बोलता है इसलिए दुखी है।
* अर्थी उठने से पहले जीवन का अर्थ समझ लेना वरना बड़ा अनर्थ हो जाएगा।
* दो बातें ध्यान रखें। एक टीवी देखते समय भोजन नहीं करें और दो अखबार पढ़ते हुए चाय न पियें।
* जिन्दगी में डोली दो बार सजती है। एक दुल्हन के लिए और दो मुर्दें के लिए।
* आदमी केवल दिमाग की नश फटने और धड़कन रूकने से नहीं मरता बल्कि उस दिन भी मर जाता है जिस दिन उसका विश्वास मर जाता है।
* घर में अतिथि आया हुआ हो तो अमृत ही क्यों न हो अकेले नहीं पीना चाहिए।
* जिस घर में अतिथि सत्कार नहीं होता वह घर नहीं श्मशान है और जिस घर में अतिथि सत्कार में कभी चूक नहीं होती वह घर तीर्थ है।
* दान देना उधार देने के समान है। देना सीखो क्योंकि जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षस है।
* जीवन को स्वर्ग बनाना है तो सामने वाला क्रोध में आग बने तो आप पानी बन जाइये।