हथेली इंसान के जीवन का आईना होती है। इसकी बनावट से हमें व्यक्ति के जीवन से सम्बन्धित लगभग सभी बातों की जानकारी मिल जाती है। व्यक्ति की सोच, उसका चाल-चलन एवं जीवन में वह क्या खोएगा और क्या पाएगा? इन सभी बातों की जानकारी हथेली की बनावट से हम जान सकते हैं। हथेली में मौजूद रेखाओं से हम व्यक्ति के विषय के बारे में जान लेते हैं, परन्तु हथेली में अंगुलियों की बनावट से हम व्यक्ति को और अच्छी तरह से जान सकते हैं।
अँगूठा :- अँगूठे को हथेली का राजा कहा जाता है, यह हथेली एवं अंगुलियों को जोड़ने वाला स्थान होता है। अँगूठे के चलते ही इंसान को सामाजिक प्राणी कहा जाता है। नहीं तो इंसान सिफ प्राणी ही होता है, अँगुठा व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता को दर्शाता है। तर्जनी :- अँगूठे के बाद वाली अंगुली ‘तर्जनी’ कहलाती है। यह अंगुली व्यक्ति के अहम भाव को दर्शाती है। प्रतिष्ठा एवं पहचान की इच्छा भी उसी अंगुली से प्रकट होती है। अगर तर्जनी जरूरत से ज्यादा बड़ी हो तो व्यक्ति अपने प्रभाव से दूसरे को प्रभावित करने वाला होता है। अगर जरूरत से ज्यादा छोटी हो तो व्यक्ति जीवन का लक्ष्य काफी छोटा होता है। ऐसा व्यक्ति सिर्फ श्रोता होता है, वह वक्ता कभी नहीं हो सकता। मध्यम :- तर्जनी के बाद मध्यमा अंगुली होती है। यह अंगुली व्यक्ति के मानसिक संतुलन को दर्शाती है, अगर मध्यमा तर्जनी और अनामिका से छोटी होती हो तो व्यक्ति चतुर होता है। यदि मध्यमा अनामिका और तर्जनी से बड़ी हो तो व्यक्ति भीड़ से हटकर रहना चाहता है। अनामिका :- मध्यमा के बाद की अंगुली अनामिका होती है। यदि व्यक्ति की आन्तरिक इच्छा, दिखावे एवं प्रसिद्धि को दर्शाती है। अगर अनामिका छोटी हो, तो व्यक्ति जीवन में दिखावे से दूर रहता है।
जीवन में जोखिम भी कम ही उठाता है अनामिका बड़ी हो जो व्यक्ति जोखिम उठाने से डरता नहीं है और धन अर्जन के विभिन्न उपायों में अपना दिमाग लगाता रहता है। कनिष्ठा :- अनामिका के बाद वाली अंगुली कनिष्ठा कहलाती है। यह अंगुली व्यक्ति की वाक्पटुता और बुद्धि को दर्शाती है। अगर कनिष्ठा लम्बी है, तो व्यक्ति अच्छा वक्ता होता है एवं अपनी बौद्धिक क्षमता से दुनिया पर राज करता है। कनिष्ठा छोटी है तो व्यक्ति अपनी बात सही तरीके से नहीं रख पाता है और अन्तर्मुखी स्वभाव का व्यक्ति होता है।