घर में श्रद्धा, प्रेम, शांती, ज्ञान, नजर आना चाहिए। घर के लोगों की धर्मपर, गुरुपर श्रद्धा होनी चाहिए। परिवार में एक दूसरे से प्रेम से रहना होगा। प्रेम से शांति बनती है। ज्ञान यह धर्म का मूल है। सबको ज्ञान प्राप्त करना होगा। आत्मा के लिए आत्मिक ज्ञान चाहिए, जिससे घर धर्ममय बन सकता है। शांती के दो द्वार है। एक ज्ञान दूसरा धर्मध्यान। अणु और परमाणु युक्त अपना घर चाहिए।
१. घर अच्छे बस्ती में हो, जिससे अच्छे संस्कार होते है।
२. घर को अधिक दरवाजे न हो।
३. घर अधिक ऊचाँ या अधिक नीचा न हो। जिससे संत आ सकते है।
४. घर में अंधियारा न हो। सूर्यप्रकाश आने से नवनिर्माण होता है। प्रकाश में जीवों की उत्पत्ती नहीं होती।
५. घर के इर्दगिर्द शराब, जुएँ आदि व्यसनों की दुकानें नहीं होनी चाहिए।
६. पड़ोसी सुसंस्कृत हो। पुण्य से यह होता है।
७. घर के पास धर्मस्थान हो, जिससे धर्माराधना हो सकती है। घर को स्वर्ग बनाने के लिए समय का दान दो, घर के सब सदस्य एकसाथ गुरुदर्शन को जावें। घर के बाहर जाते वक्त मुस्कारहट होनी चाहिए। संस्कारों का दान घर परिवार को देना है। समाधान यह सबसे बडी महत्तव की बात है। सहयोग-सेवादान जरुरी है। इस तरह घर स्वर्ग बन सकता है।