ऐसे पहचानें कौन सा नोट है असली और कौन सा नकली, नहीं खाएंगे धोखा
नकली नोटों का करोबार इतना पैफैल चुका है कि कभी भी किसी के साथ भी धोखा हो सकता है । नकली नोट को भी इतनी सफाई से तैयार किया जाता है कि उन्हें देखकर कोई भी गच्च खा सकता है। आरबीआई ने इसके मद्देनजर साल २००५ से पहले जारी किए गए नोटों को बदलने का फैसला किया था। आरबीआई जल्द ही ऐसे असली नोटों को भी बदलने जा रहा है कि जिनमें अंतर है। क्योंकि पुराने और नए नोटों में भी काफी चीजें बदल चुकी हैं। आपको बता दें कि आरबीआई ने देश में कालेधन और नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए ये फैसला लिया । जनवरी २०१५ से बाजार में पुराने नोट नहीं दिखेंगे। बैंक इन्हें वापस ले लेगा। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि असली और नकली नोटों की पहचान कैसे की जाए। हम आपको १००० और ५०० के नोटों की असली या नकली होने की सटीक पहचान करने के तरीके बता रहे हैं। असली नोट और नकली नोट में आइडेंटिफिकेशन मार्क का अंतर होता है।
वाटर मार्क
किसी भी नोट पर वाटर मार्क जरूर देखें। सभी असली नोटों में महात्मा गांधी की फोटो बनी है। उसी फोटो को हल्के शेड में वाटरमार्क में भी बनाया गया है। जब नोट को आप थोड़ा तिरछा करेंगे तो यह दिखाई देगा।
सिक्योरिटी थ्रेड
इसके बाद सिक्योरिटी थ्रेड पर गौर करें। नोट के बीच में यह सीधी लाइन के रूप में होता है। जिस पर हिंदी में भारत और आरबीआई लिखा होता है। नकली नोट में ये काफी मोटा दिखाई देता है और आरबीआई व भारत क्लियर नहीं होता। ज्यादातर मार्केट में इसे ही ध्यान में रखकर असली नकली की पहचान की जाती है।
लेटेंट इमेज
नोट पर गांधी जी की फोटो के साइड में लेटेंट इमेज होती है, जिसमें जितने का नोट है उसकी संख्या लिखी होती है । नोट को सीधा करने पर ही यह दिखाई देती है । जबकि नकली नोट में ये इमेज उभर कर नहीं आती।
माइक्रोलेटरिंग
नोट में बनी गांधी जी की फोटो,ठीक बाजू में माइक्रोलेटरिंग होती है । ५ रूपये, १० रूपये और २० रूपये के नोट में यहां पर आरबीआई लिखा होता है। इनसे ऊपर के नोटों में नोट वेल्यू होती है। जैसे ५०० रूपये के नोट में माइक्रोलेटर्स में ५०० लिखा होता है। यही असली नोट की पहचान है।
इंटेग्लिओ प्रिंटिंग
नोट पर विशेष प्रकार की प्रिटिंग इंक उपयोग की जाती है। इस इंक की वजह से महात्मा गांधी की फोटो, आरबीआई की सील और प्रोमाइसिस क्लॉस, आरबीआई गवर्नर के साइन को टच करने पर यह उभरे हुए महसूस होते हैं। इन्हें हाथ से महसूस किया जा सकता है।
आईडेंटिफिकेशन मार्क
यह खास तरह का मार्क होते है जो वाटर मार्क के बार्इं ओर होता है। सभी नोटों में यह अलग आकार का होता है। २० रूपये में ये वर्टिकल, रेक्टेंगल, ५० रूपये में चकोर १०० रूपये में ट्राइएंगल, ५०० रूपये में गोल और १००० रूपये में डायमंड शेप में होता है।
फ्लोरेसेंस
नोट पर नीचे की ओर विशेष नंबर होता है जो कि इसकी सीरीज को दर्शाते हैं। इन्हें फोरेसेंस इंक से प्रिंट किया जाता है। जब नोट को अल्ट्रा वॉइलेटलाइट में ले जाया जाता है तो ये नंबर उभर कर दिखाई देते हैं।
ऑप्टिकल वेरिएबल इंक
इस विशेष इंक का इस्तेमाल १००० और ५०० के नोट में किया गया है। नोट में बीचों बीच लिखे ५०० और १००० के अंक को प्रिंट करने में इस इंक का उपयोग किया जाता है। जब नोट फ्लैट होता है तो ये अंक हरे रंग के दिखाई देते है और इसके एंगल को बदलने पर इनका कलर बदल जाता है।
सी थ्रू रजिस्ट्रेशन
वाटर मार्क के साइड में यह फ्लोरल डिजाइन के रूप में होता है। यह नोट के दोनो साइड दिखाई देता है। एक साइड यह रिक्त होता है और दूसरी साइड यह भरा हुआ दिखाई देता है। इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन ध्यान से देखने पर इसे देखा जा सकता है।