१. खान पान पर संयम— नमक, घी, तेल में तले हुए पदार्थ मिर्च मसालों में भुने हुए आलू, तले हुए आलू, मिठाईयाँ , नाना प्रकार की मिलावट भरी चीजें दावतों में ठण्डा गर्म एक साथ, एक के बाद एक खाना, आइसक्रीम के साथ गर्म आलू टिक्की, पनीर टिक्की, समोसा, गरम—गरम पनीर पकोड़ा, दही भल्ला , कोल्ड ड्रिंक्स लेना क्या बतायें, मुफ्त की ये दावतें आपके जीवन के दिन घटा रही है। पेट में गैस विकार, एसिड और आँतों में मैदा के बने तले पदार्थ जम जाते हैं और कब्जियत चालू हो जाती है, बस रक्तचाप नीचे का ऊपर बढ़ जाएगा। पेट में जमा रूका मल नाना प्रकार से नई—नई समस्याएं पैदा करता है अपचन के साथ—साथ हवा रूकना, गैस पास ना होना, अन्दर ही अन्दर गैस का गोला बनाना रक्तचाप की प्रगति होती है। जो हृदय के ऊपर नाजायज जोर दबाव पैदा करता है, रक्तको गाढ़ा करता है बार—बार चाय पीना, जल ना पीना, कोल्डड्रिंक्स, पान मसाले खाना समझ लें आप यदि फलाहारी, शाकाहारी रहकर ८० वर्ष जीते तो इस तामसिक चीजों के खाने से माँसाहार मदिरा के शौक में ५०-५५ तक की आयु पार कर जायें तो बेहतर है।
२. चिन्तायें, मानसिक व्यथा, तनाव, अनैतिक कार्य, अधिक मैथुन में दिलचस्पी चाहे नींद ना मिले प्रतिदिन की खुराक मैथुन क्रिया भोग विलास जरूरी है तो फिर शरीर के रक्तचाप पर, हृदय की गति पर जरूर प्रभाव पड़ेगा जो दिल की सलामती के लिए खतरा है। संयमी जीवन नैतिकता भरा जीवन नैतिकता भरा जीवन क्रम, सहनशीलता, आत्मविश्वास अपना हर कार्य स्वयं करना, स्वावलंबन, नेक नियति एवं सहिष्णुता हर कदम पर निहायत जरूरी है।
३. विश्राम दिन में , रात में ८-१० घंटे प्रतिदिन गहरी नींद लीजिए, जल प्रचुर मात्रा में पीजिए। चाय पर, विजातीय पदार्थों पर संयम रखें। बागवानी में घूमें, स्वच्छ वायु में सांसे लें, ए.सी.से बचे, बन्द कमरों में जो गन्दी वायु आप सांसों से बाहर निकालते हैं वहीं फिर सांसों से अन्दर ले जाते हैं, आपका हृदय रक्त साफ करने के लिए स्वच्छ ऑक्सीजन पूर्ण वायु चाहता है, वरना उसका रक्तशोधन सफाई का कार्य सम्पन्न नहीं होता और फलस्वरूप शरीर में रक्त संचालन सुचारू रूप से नहीं होगा। ऐसे में गन्दा रक्त, ब्लड यूरिया, ब्लड शुगर से व्याप्त होता है और जब तक आपका हृदय अपनी रासायनिक क्रिया से उस गन्दे रक्त में ऑक्सीजन पास करके उसे स्वच्छ ना बनायें रक्त विकारों से पूर्ण ही रहता है।
४. फलाहार शाकाहार प्रतिदिन खाना, योगासन करना, पैदल भागना दौड़ना, जॉगिंग करना, तैरना, साइकलिंग करना, गर्मी में प्रात: सांय दो बार नियमित स्नान, शीत ऋतु में शरीर की तेल मालिश करना। स्वच्छ शरीर, स्वच्छ निर्मल काया मन रखती है चंगा— तो फर बहती है घर में गंगा। बागवानी में रहिए, प्राणायाम कीजिए, गहरी सांसे लें, वक्रआसन, चतुआसन, भुजआसन, उठक—बैठक लगान, एक पैर पर खड़े होना रक्त चाप को नियंत्रित करता है। प्रतिदिन ५-६ लीटर जल पीना चाहिए जिससे शरीर की समस्त गंदगी आसानी से प्रचुर मात्रा में बाहर आकर स्वत: ठीक हो जाती है। कम जल पीने वाले या चाय—कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, पान—मसाले के अभ्यरूत नाना प्रकार के रोगों से त्रस्त रहते हैं। डॉक्टरों के रोज—रोज चक्कर लगाते फिरते हैं, कभी ये टेस्ट,कभी वो टेस्ट, कभी ब्लड शुगर, रक्तचाप तो कभी अल्ट्रासाउंड, लीवर की गड़बड़ आँतों की सूजन, तिल्ली बढ़ना ये सब खान के विकार है, इन्हें बढ़ने न दें।
५- साँस लेने में कठिनाई, हृदय में टीस, दर्द, बैंचेनी, नींद न आना, आँखों में बेतहाशा लाली, जलन भूख न लगना, कम मूत्र आना आदि विभिन्न बीमरियों के संदेश वाहक हैं। मधुमेह का भाई है रक्तताप, फिर कैंसर ये तीन बड़े शत्रु हैं। यदि समय पर उपचार ना मिला या ना कर पाये तो मानव जीवन को मौत की छाया में बदलकर जीवन लीला समाप्त कर देते हैं। जरूरी जाँचे स्थिति बेकाबू होने पर ई.सी.जी. इकोकार्डियो—ग्राफी, टीडीमिल टेस्ट, टीएमटी, स्ट्रेस इको, कार्डिक, एमआरआई, ब्लडशुगर, मूत्र शुगर, कार्डिक सीटी स्केन यानी एन्जियोग्राफी रक्त वाहनियों में जमा रक्त को पंम्पिंग कर साफ करने की प्रणाली। इन सभी पर हजारों का खर्चा आ जाता है स्थिति सुरक्षित रखने के लिए बाईपास एंजियोप्लास्टी सर्जरी द्वारा हृदय को नई रक्त वाहनियों से प्रवेशित कर स्थिति को आधुनिक शल्य चिकित्सा विधान द्वारा कंट्रोल करते हैं। जीवन को मृदुल मनाइए खान—पान पर कन्ट्रोल करें, मुस्कुरा कर जीवन बिताइये आशावादी रहें।