आए दिन मीडिया के माध्यम से वाहनों से दुर्घटना होने की खबर पढ़ने, देखने, सुनने को मिलती रहती है। ऐसी दुर्घटना जिसमें किसी का जीवन समाप्त हो जाए उनके घरों में निश्चित रूप से दो या दो से अधिक वास्तुदोष होते हैं। यदि किसी के घर में केवल एक महत्वपूर्ण वास्तुदोष है तो उस घर में हादसे से किसी की मृत्यु नहीं हो सकती, केवल गंभीर दुर्घटना का योग ही बनता है। हादसा किस प्रकार का होगा यह निर्भर करता है वास्तुदोष भवन के किस दिशा में किस प्रकार का है, परन्तु यह तय है कि हादसे वाले घर का नैऋत्य कोण जरूर दोषपूर्ण होता है, जैसे नैऋत्य कोण में भूमिगत पानी की टंकी,कुंआ, बोरेबल या किसी भी प्रकार से फर्श नीचा हो या दक्षिण या पश्चिम नैऋत्य कोण बढ़ जाए, इस दोष के साथ यदि उस घर के पश्चिम नैऋत्य कोण में मुख्य द्वार हो तो घर के पुरुष सदस्य के साथ और यदि मुख्य द्वार दक्षिण नैऋत्य कोण में हो तो उस घर की स्त्री के साथ किसी भी प्रकार की दुर्घटना में मृत्यु की संभावना बलवती हो जाती है, यह तो हुआ एक वास्तुदोष” उनके यहां दूसरा वास्तुदोष ईशान कोण में अवश्य ही होगा, इस प्रकार ईशान कोण की दीवार अंदर दब जाए और किसी कारण आग्नेय कोण की दीवार आगे बढ़ जाए या भवन का आग्नेय कोण नैऋत्य कोण से ऊंचा और ईशान कोण की तुलना में नीचा हो जाए तो विवाद के फलस्वरूप रक्तरंजित जैसे हत्या , गंभीर मारपीट आदि हादसे हो सकते हैं, यदि उत्तर वायव्य कोण नैऋत्य से ऊंचा और ईशान कोण की तुलना में नीचा हो जाए या ढंक जाए तो घर की किसी महिला सदस्य विशेष तौर पर कन्या संतान के साथ दु:खद हादसा हो सकता है और यदि पश्चिम वायव्य ढंक जाए तो पुरुष संतान के साथ घटना घट सकती है, इत्यादि ऐसे कई दोष हो सकते है, जो मकान दो से भी ज्यादा वास्तुदोषों से युक्त है जिनमें नैऋत्य कोण के साथ मकान का कोई दूसरा भाग भी वास्तुदोष युक्त हो तभी वहां निवास करने वाले स्त्री-पुरूष किसी के साथ भी दु:खद हादसे हो सकते हैं। ऐसे दोषपूर्ण घरों में निवास करने वालों को चाहिए कि वे अपने घर के वास्तुदोषों को शीघ्रता-शीघ्र दूर करे ताकि परिवार का कोई सदस्य किसी प्रकार के दुखद हादसे का शिकार न हो।