पशुओं का मेला लगा हुआ था। अनेक बेचने वाले और अनेक खरीदने वाले। एक व्यक्ति ने सौदागर से अनेक पशु खरीदे। उस सौदागर के पास एक कुत्ता भी था। उसने कहा— ‘ आप ने अन्यान्य सारे पशु खरीद लिए, इस कुत्ते को क्यों छोड़ा ? आप इसे ले जाएं, यह बड़ा अद्भुत कुत्ता है। यह मनुष्य की भाषा बोलता है।’ यह सुनकर खरीददार को आश्चर्य हुआ। उसने कुत्ते से पूछा— ‘ मैं उज्जयिनी से आया हूँ।’ ‘मैं उज्जयिनी से आया हूँ ।’ ‘ यहां क्यों आए हो ?’ ‘ मालिक ले आया, इसलिए। ’ ‘तुम क्या करोगे ?’ ‘जो मालिक कहेगा।’ ‘ रात में रखवाली करोगे ?’ ‘हाँ’ ‘दिन में जहां भेजूंगा, वहां चले जाओगे ?’ ‘अवश्य ही’ उसने जो भी कहा कुत्ता स्वीकार करता गया, नकारना वह जानता ही नहीं था। उसने फिर पशु के सौदागर से कहा— इतना अच्छा नौकर है, फिर इसे बेच क्यों रहे हो ? वह बोला—‘ यह कहता सब कुछ है, पर करता कुछ नहीं। झूठ बोलने में यह माहिर है।’