प्रकृति — तर और गर्म। सर्दी के मौसम में मुनक्का का नित्य सेवन अधिक लाभदायक है। जब अंगूर को विशेष प्रकार से सुखा लिया जाता है तो उसका नाम बदलकर मुनक्का हो जाता है । अंगूर के लगभग सभी गुण मुनक्का में मौजूद होते हैं। यह दो किस्म का होता है, लाल और काला। मुनक्का को द्राक्ष या दाख भी कहते है। २० मुनक्का गर्म पानी से धोकर रात को आधा गिलास पानी में भिगों दे। प्रात: मुनक्का खाकर उसके पानी को पी लें। इस तरह नित्य २ माह प्रयोग करने से कमजोरी दूर हो जाती है। रक्त और शक्ति उत्पन्न होती है। फैफड़े के रोग दूर होकर बल मिलता है। दुर्बल रोगी को मुनक्के भिगोया हुआ पानी नित्य पिलायें। इससे रक्त शुद्ध होता है, पेट के रोग ठीक हो जाते हैं, पुरानी खाँसी , जुकाम ठीक हो जाते हैं।
चक्कर आना
(१)२० ग्राम मुनक्का घी में सेंककर सेंधा नमक डालकर खाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।
(२)बीज निकाली हुई दस मुनक्का एक गिलास दूध में तेज उबालकर प्रात: व रात को सोते समय खाकर दूध पियें। यह प्रयोग एक महीना करें। चक्कर आना बन्द हो जायेगा, कमजोरी दूर हो जायेगी।
रक्त—विकार — २० ग्राम मुनक्का रात को पानी में भिगों दें। इन्हें प्रात: पीसकर एक कप पानी में घोलकर प्रतिदिन पीते रहने से रक्त साफ होता है।
चेचक — चेचक के रोगी को दिन में कई बार दो—दो मुनक्का या किशमिश खिलाने से लाभ होता है।
सर्दी के मौसम के रोग — सर्दी में जुकाम, बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, मलेरिया आदि अधिक होते हैं। चार मुनक्का , स्वादानुसार भुना हुआ जीरा, काला नमक सबको बारीक पीसकर इसकी दो गोली बनाकर सुबह—शाम चूसते रहें। अन्त में खायें। इसमें मुँह का स्वाद अच्छा रहेगा, भूख लगेगी और कमजोरी नहीं आयेगी। अन्य जो कुछ भी चिकित्सा करते रहे हो, करते रहें, साथ में इनका भी सेवन करें। बलगम — प्रात: प्रतिदिन ३० ग्राम मुनक्का का सेवन कच्ची बलगम के रोगों से सुरक्षित रखता है। कफ ढीला होकर बाहर निकल जाता है।
ब्लड प्रेशर हाई /लो— आठ मुनक्का, ३ चम्मच सौंफ, दो किलो पानी में इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये। इस पानी को छानकर चार भाग करके दिन भर में चार बार पियें। मुनक्का खा लें।
ज्वर, बुखार — दस मुनक्का धोकर आधा कप पानी में भिगोयें। दो घंटे बाद बीज निकाल कर मुनक्का को पीसें। एक छोटी इलायची का दाना और एक लौंग भी साथ में पीसें। इस पिसी चटनी को दो कप पानी में धो लें मुनक्का भिगोया हुआ पानी सहित इन्हें दो कप पानी में मिलाकर उबालें। फिर इस उबले पानी में स्वादानुसार भुना पिसा जीरा, नमक, चीनी डालकर घोलें। यह गर्म कर सुबह, शाम दोनों बार ताजा बनाकर पियें। ज्वर, बुखार, सर्दी में लाभ होगा। खाँसी,जुकाम में मुनक्का लाभप्रद है।
जुकाम बार—बार लगता हो, ठीक ही न होता हो तो ११ मुनक्का, ११ कालीमिर्च , ५ बादाम भिगों कर छील लें। फिर इन सबको पीसकर २५ ग्राम मक्खन में मिलाकर रात को सोते समय खायें। प्रात: दूध में दो पीपल , १० कालीमिर्च, चौथाई चम्मच सोंठ डालकर उबाला हुबा दूध पियें। यह कई महीने करें। जुकाम स्थायी रूप से ठीक हो जायेगा।
खाँसी सूखी—
(१)५ बादाम की गुली रात को थोड़े से पानी में भिगों दे। प्रात: बादाम छील कर, दस मुनक्का बीज निकालकर , आध चम्मच मुलहठी पिसी हुई सब मिलाकर बादाम का भीगा पानी डालकर पीस लें। इसके चार भाग करके दिन में चार बार हर दो घंटे से खायें।
(२)दो मुनक्का और मिश्री का टुकड़ा चूसते रहने से सूखी खाँसी में लाभ होता है।
मोटापा बढ़ाना —१५ मुनक्का नित्य रात को खाकर पानी पीकर सोयें। एक —दो महीने में ही सारी दुर्बलता दूर होकर शरीर का वजन बढ़ेगा, शरीर मोटा हो जायेगा।
रक्त और वीर्य वृद्धि — ६० ग्राम मुनक्का धोकर भिगों दें। बारह घण्टे बाद इनको खायें। भीगी हुई मुनक्का पेट के रोगों को दूर कर रक्त और वीर्य बढ़ाती है। मुनक्का धीरे—धीरे बढाकर दो सौ ग्राम तक ले सकते है। वर्ष में इस तरह तीन—चार किलो मुनक्का खाना बहुत लाभदायक है।
शक्तिवर्धक — सर्दी के मौसम में बीस मुनक्का २५० ग्राम दूध में उबालकर खायें और दूध पी जायें। यह पूरे सर्दी के मौसम में लें। मुनक्का रक्त बढ़ाता है। यह सबके लिए पौष्टिक है। ६० ग्राम मुनक्का और ५० ग्राम बादाम का सेवन करना दुर्बल व्यक्ति को ताकत देता है, स्मरणशक्ति बढ़ाता है तथा बुद्धि को तीव्र बनाता है। दोनों भिगोकर पीसकर सेवन करें। मासिक धर्म मुनक्का के सेवन से साफ आता है। नसों में दर्द में आराम होता है। सूजन और पेशाब की रूकावट दूर होती है।
अम्लपित्त — १० मुनक्का और दो चम्मच छोटी सौंफ रात को एक कप पानी में भिगोकर प्रात: दोनों को पीसकर पानी में घोलकर छानकर नित्य प्रात: पीने से लाभ होता है।
आँखों में जलन — रात को दस मुनक्का आधा गिलास पानी में भिगोयें । प्रात: मुनक्का बीज निकालकर खायें और पानी पी जायें।
आधे सिर का दर्द —यदि आधे सिर में दर्द, सूर्योदय से बढ़ता हो और सूरज ढलने के साथ कम होता हो तो पाँच मुनक्का लें। इनके बीज को निकालकर इनमें राई के बराबर कपूर भरकर गोली की तरह बना लें। प्रात: सूर्योदय से पहले जल्दी उठकर हर बीस मिनट बाद एक—एक मुनक्का पानी से निगल जायें। आधे सिर का दर्द ठीक हो जायेगा। मुँह सूखना, आँखों के आगे अंधेरा, ज्वर, कब्ज में १० मुनक्का बीज निकालकर, स्वादानुसार कालीमिर्च , सेंधा नमक मिलाकर पीसकर पूडी के आकार की गोल बनाकर तवे पर सेंककर खाने से लाभ होता है। काले अंगूर आँखों के लिए लाभकारी होते हैं।
पीलिया — मुनक्का भिगोकर पानी में घोलकर पियें।
छाले — दूध में मुनक्का उबालकर रात को सोते समय मुनक्का खाकर यह दूध पियें। छालों में आराम हो जायेगा।
टाइफाइड— बीमार को भोजन में अन्य नहीं दे तथा पूर्ण आराम करने की सलाह दें। फलों का रस, पपीता, मुनक्का खाने को दें।
दस्त — बीज सहित दस मुनक्का पीसकर पानी घोलकर सुबह शाम खिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
कब्ज — कब्ज होने पर नित्य १० मुनक्का गर्म दूध में उबालकर लेने से लाभ होता है। बीज निकालकर ६० ग्राम मुनक्का प्रतिदिन प्रात: और शाम को खूब चबा—चबाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
भूख — मुनक्का, नमक, कालीमिर्च सबको मिलाकर गर्म करके खाने से भूख बढ़ती हैं पुराने बुखार में जब भूख नहीं लगती हो तो यह प्रयोग विशेष लाभदायक है मुनक्का थकान और बुखार की प्यास को शान्त करता है। मुनक्का थकान और बुखार की प्यास को शान्त करता है। अंगूर के पत्तों पर घी लगाकर गर्म कर सहता—सहता अण्डकोशों (नलों) पर बाँधने से अण्डकोशों की सूजन व दर्द दूर हो जाता है। बड़ा अंगूर सूखने पर मुनक्का बनता है व छोटा सूखने पर किशमिश । एक शायर ने खूब तारीफ की है इसकी—
‘‘क्या खूब रंग लाया है, माशूक का बुढ़ापा। कि अंगूर के सब मजे, किसमिस में आ गये।’’
टी.बी
(१)मुनक्का, पीपल, देशी शक्कर समान भाग में पीसकर एक—एक चम्मच सुबह—शाम खाने से यक्ष्मा (टी.बी), श्वास, खाँसी दूर हो जाता है।
(२) रात को १० मुनक्का खाकर पानी पीकर सोयें। इससे पसीना कम आयेगा। खाँसी कम आयेगी। कफ पतला होकर बाहर आयेगा। गला बैठा हो तो आवाज साफ आयेगी। शरीर की ताकत कम नहीं होगी। ताकत बनी रहेगी।